Thursday, April 25, 2024
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शिया वक्फ बोर्ड के सदस्यों को हटाए जाने पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता

SI News Today

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के छह मनोनीत सदस्यों को हटाए जाने के राज्य सरकार के आदेश को तकनीकी आधार पर शुक्रवार को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति एस एन अग्निहोत्री की अवकाशकालीन पीठ में शिया वक्फ बोर्ड के हटाए गए छह मनोनीत सदस्यों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि हटाए गए सदस्यों को अपने खिलाफ कार्रवाई से पहले सफाई का मौका नहीं दिया गया, मगर वक्फ अधिनियम 1995 के तहत उन्हें मौका दिया जाना जरूरी था।

हालांकि, अदालत में राज्य सरकार को छूट दी है कि वह कानून का पालन करते हुए अपनी कार्यवाही कर सकती है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गत 16 जून को शिया वक्फ बोर्ड के छह सदस्यों अख्तर हसन रिजवी, सैयद अली हैदर, अशफाक जैदी, मौलाना अजीम हुसैन जैदी, आलिमा जैदी तथा नजमुल हसन रिजवी को संपत्तियों में अनियमितता तथा धांधली के आरोप में हटा दिया था।

हटाए गए सभी सदस्यों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इन सभी को पूर्वर्ती अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में बोर्ड का सदस्य मनोनीत किया गया था। योगी सरकार ने गत 15 जून को प्रदेश के शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डों को भंग करने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कहते हुए इन दोनों बोर्ड में करोड़ों रुपए के घोटाले कथित घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश भी की थी।

मालूम हो कि वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रदेश के शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डों में अनियमितताओं की विभिन्न शिकायतों की जांच की थी जिसमें शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी तथा उनके कई साथियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। मामले की आंच पूर्ववर्ती सपा सरकार के वरिष्ठ काबीना मंत्री आजम खान तक भी पहुंची थी। हालांकि खां ने कहा था कि उन पर लगे आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं।

बता दें कि कल इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने वक्फ बोर्ड के मनोनीत सदस्यों को हटाये जाने पर गंभीर चिन्ता जताते हुए राज्य सरकार को 24 घंटे में तथ्य पेश करने के लिए कहा था। न्यायमूर्ति राजन राय और न्यायमूर्ति एस एन अग्निहोत्री की अवकाश पीठ ने शिया वक्फ बोर्ड से निकाली गयीं आलिमा जैदी एवं अन्य की याचिका पर अपर महाधिवक्ता रमेश कुमार सिंह को निर्देश दिया था कि वह इस बारे में योगी आदित्यनाथ सरकार का रूख कल अदालत में रखें।

राज्य सरकार ने 16 जून को बोर्ड के मनोनीत सदस्यों को यह कहते हुए हटा दिया था कि उन्होंने वक्फ संपत्तियों में अनिययमितताएं की हैं।

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