लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के लोकसभा सदस्य रहते हुए सीएम और डिप्टी का पद धारण करने को असंवैधानिक बताने वाली एक याचिका पर भारत के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार द्वितीयद्ध की खंडपीठ ने संजय शर्मा की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया।
याची के वकील सीबी पांडेय के अनुसार, याचिका में मांग की गई है कि चूकि एक सांसद राज्य सरकार का मंत्री नहीं हो सकता और यह संविधान के अनुच्छेद 101 (2) का उल्लंघन है। लिहाजा, दोनों की नियुक्ति को शून्य घोषित किया जाए। याचिका में दोनों नेताओं के संसदीय क्षेत्र को भी रिक्त घोषित करने की मांग की गई है। इसके साथ ही याचिका में प्रिवेंशन ऑफ डिस क्वालिफिकेशन एक्ट की धारा (3ए) की संवैधानिकता को भी चुनौती दी गई है। संवैधानिकता को चुनौती देने के कारण कोर्ट ने उक्त विषय पर भारत सरकार का पक्ष जानने के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। मामले की अग्रिम सुनवाई 24 मई को होगी।
2. रिटायर्ड डिप्टी पोस्टमास्टर को गबन के आरोप में कोर्ट ने सुनाई 6 साल की सजा
सीबीआई के विशेष जज एमपी चौधरी ने गबन के केस में रिटायर्ड डिप्टी पोस्टमास्टर राम अभिलाख मौर्य को 6 साल की सजा सुनाई है। साथ ही उन पर एक लाख 25 हजार का जुर्माना भी ठोका है। अभियेाजन के मुताबिक 2006 में कानपुर के न्यू पीएसी लाईन के डाकघर से रिटायर हुए डिप्टी पोस्टमास्टर पर ग्राहकों का 5 लाख 91 हजार रुपए गबन करने का आरोप है। सीबीआई के वकील अजय पाल के मुताबिक गबन का यह मामला सितंबर 2006 से नवंबर 2006 तक का है।
इस दौरान मुल्जिम ने 15 सावधि जमा योजना के तहत ग्राहकों द्वारा दी गई यह रकम डाकघर में जमा करने के बजाए खुद ही रख लिया और संबधित ग्राहकों को पास बुक बनाकर दे दिया था। 2008 में सावधि जमा की अवधि पूरी होने पर ग्राहकों द्वारा जमा धनराशि की मांग की गई। तब इसका खुलासा हुआ। 31 जनवरी 2008 को सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू की। 29 अगस्त 2008 को अपनी जांच पूरी कर सीबीआई ने मुल्जिम के खिलाफ गबन और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप पत्र दाखिल किया।