केजीएमयू के शताब्दी अस्पताल में हरदोई की महिला से बंधक बनाकर गैंगरेप मामले में दरिंदों ने पीड़िता को शोर मचाने पर करंट लगाने और जान से मारने की धमकी दी। पीड़िता ने बताया कि लिफ्ट मशीन रूम में मशीनों की आवाजें आ रही थीं।
उसने सिक्योरिटी गार्ड शिवकुमार से पूछा कि यहां क्यों लाए हो। उसने कोई जवाब नहीं दिया। इस बीच दूसरे कमरे में पहले से मौजूद गार्ड संतोष कश्यप व लिफ्ट मैन विनय ने उसे दबोच लिया। विरोध करने पर उसे करंट लगाने की धमकी दी।
पीड़िता ने बताया कि बुधवार को दिनभर उसे खाना नसीब नहीं हुआ था। रात में शिवकुमार ने भंडारे का प्रसाद खिलाने के बहाने मशीन रूम में ले गया और बंधक बनाकर दरिंदगी की।
पीड़िता के पति ने बताया कि जांच कराने के लिए वह 3000 रुपये उधार लेकर आया था। मंगलवार और बुधवार को कई जांचें हुई, जिसमें 1500 रुपये खर्च हो गए। दोनों को बृहस्पतिवार को भी जांच व दवाएं खरीदने के अलावा गांव वापस जाना था, इसलिए एक-एक रुपया सोच-सोचकर खर्च कर रहे थे।
सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में पीड़िता को ले जाता दिखा गार्ड
शताब्दी अस्पताल फेज वन के ग्राउंड फ्लोर व फर्स्ट फ्लोर की गैलरी में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। पुलिस ने फर्स्ट फ्लोर पर लगे कैमरों की फुटेज निकलवाई तो रात करीब दस बजे शिवकुमार पीड़िता को ले जाता हुआ दिखा है। पीड़िता लगभग डेढ़ बजे पति के पास लौटते दिख रही है।
पीड़िता के चिल्लाने पर साथियों ने फोन कर शिवकुमार को बुलाया
सीओ चौक राधेश्याम राय ने बताया कि पीड़िता किसी तरह लिफ्ट मशीन कक्ष से निकलकर भागी और पति को इसकी जानकारी दी। दोनों ने शोर मचाया तो दोनों दरिंदों ने रात करीब दो बजे शिवकुमार को फोन कर अस्पताल बुलाया।
शिवकुमार के अस्पताल पहुंचने पर महिला ने हंगामा मचाने और पुलिस से शिकायत करने की धमकी देने की बात कही। तब शिवकुमार ने महिला को जान से मारने की धमकी दी।
दरिंदों ने घेर रखा था, समझ नहीं आ रहा था क्या करें
गैंगरेप की शिकार महिला और उसके पति पर रात भारी गुजरी। छह घंटे तक दोनों दहशत और उलझन में रहे। पीड़िता ने कहा कि परदेस में वह दरिंदों से घिरी थी। पति की हालत ठीक नहीं थी। मदद के लिए कोई भी अपना नहीं दिख रहा था।
उसने सोचा कि फोन करके गांव से किसी परिचित को मदद के लिए बुला लिया जाए, लेकिन वहां से आने में दो घंटे लग जाते इसलिए किसी को फोन नहीं किया। समझ में नहीं आ रहा था क्या करे और कहां जाए?
एक बार तो लोक-लाज के ख्याल से अपने साथ हुई हैवानियत की शिकायत न करने का भी सोच लिया। बकौल पीड़िता, रेप करने वाले अस्पताल परिसर में ही मौजूद थे और पीड़िता व उसके पति को धमका रहे थे इसलिए वह पुलिस के पास जाने की हिम्मत भी नहीं जुटा सके।
ड्यूटी चेंज हुई तो चौक कोतवाली पहुंची महिला
आरोपी शिवकुमार व संतोष
पीड़िता को यह भी डर था कि शिकायत करने पर आरोपी उसके पति के साथ कोई अनहोनी न कर डालें। किसी तरह एक-एक पल करके दोनों ने रात काटी।
सुबह लोगों का आना-जाना शुरू हुआ तो पीड़िता की हिम्मत बंधी। इसी बीच छह बजे ड्यूटी चेंज हुई और दूसरे सिक्योरिटी गार्ड आए तब पीड़िता पति को लेकर चौक कोतवाली पहुंच गई।
पहले ही रच चुके थे गैंगरेप की साजिश
अस्तपाल में सिक्योरिटी गार्ड आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में काम करते हैं। गैंगरेप के आरोपी सिक्योरिटी गार्ड संतोष की ड्यूटी रात दस बजे से सुबह छह बजे तक थी। हालांकि, वह ड्यूटी छोड़कर लिफ्ट मशीन कक्ष में आराम फरमा रहा था।
दूसरे सक्योरिटी गार्ड शिवकुमार और लिफ्टमैन विनय की ड्यूटी दोपहर दो से रात दस बजे की शिफ्ट में थी। यानी वारदात से पहले उसकी ड्यूटी खत्म हो चुकी थी।
संतोष के लिफ्ट मशीन कक्ष में आराम फरमाने और शिवकुमार व विनय की ड्यूटी खत्म के बाद भी अस्पताल में मौजूदगी यह इशारा कर रही है कि बदमाशों ने साजिश रचकर महिला से दरिंदगी की।
गर्दन बचाने में जुटा अस्पताल… ओपीडी के बजाए रैन बसेरा को बताया घटनास्थल
अस्पताल में गैंगरेप की सनसनीखेज वारदात के बाद अस्पताल प्रशासन अपनी गर्दन बचाने में जुट गया है। केजीएमयू नियंता मंडल की तरफ से वीसी को घटनाक्रम का जो ब्यौरा भेजा गया है, उसमें घटनास्थल ही बदल दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में पीड़िता को ओपीडी के सामने बरामदे में ठहराने की बात छिपाते हुए उसके रैन बसेरा में रहने की जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार शिवकुमार पीड़िता का पूर्व परिचित था और उसने रैन बसेरा में उसके ठहरने की व्यवस्था की थी। वीसी इस मामले की छानबीन करा रहे हैं।
उधर, इंस्पेक्टर आईपी सिंह ने बताया कि गैंगरेप आरोप में पकड़े गए शिवकुमार और संतोष ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है। दोनों का मेडिकल परीक्षण कराया जा रहा है।
किसी भी सिक्योरिटी गार्ड्स का वैरीफिकेशन नहीं, पहले भी कर चुके हैं छेड़छाड़
शताब्दी अस्पताल में तैनात मिश्रा सिक्योरिटी एजेंसी के 20 सिक्योरिटी गार्ड में किसी का भी पुलिस वैरीफिकेशन नहीं कराया गया था। गार्ड के खिलाफ कोई मुकदमा है या नहीं? वे कभी जेल तो नहीं गए?
क्या कोई गार्ड सजायाफ्ता भी है? कहीं उन्हें नशे की लत तो नहीं है? उनकी कोई रंजिश तो नहीं चल रही? ऐसी तमाम जानकारियां खुद कंपनी संचालक के पास नहीं हैं। इससे सिक्योरिटी एजेंसी कठघरे में खड़ी हो गई है।
लोग बोले- अस्पताल में गुंडागर्दी करते हैं गार्ड
अस्पताल के लोगों का कहना है कि सिक्योरिटी गार्ड पूरे अस्पताल में गुंडागर्दी करते हैं। मरीजों और उनके तीमारदारों को अस्पताल में अपनी मर्जी के मुताबिक कहीं भी रुकवा देते थे।
गार्ड की इजाजत के बगैर अस्पताल के गलियारों या बरामदों में कोई मरीज या उनके तीमारदार सोते थे तो उनसे अभद्रता भी की जाती थी। करीब एक साल पहले सराय माली खां इलाके में भी इसी कंपनी के सिक्योरिटी गार्ड ने एक युवती से छेड़छाड़ की थी जिस पर बवाल हुआ था