Friday, March 29, 2024
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यूपी शिया वक्फ बोर्ड अध्यक्ष को ‘D कंपनी’ की ‘धमकी’, जानिए मामला…

SI News Today

लखनऊ: मदरसों पर आतंकवाद का आरोप लगाकर उन्हें बंद करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुजारिश करने वाले उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने खुद को माफिया सरगना दाऊद इब्राहीम के गुर्गे द्वारा फोन पर धमकी दिए जाने का दावा किया है. रिजवी ने सआदतगंज थाने में रविवार को शिकायत दर्ज कराई. दावा किया कि उन्हें दाऊद इब्राहीम के गुर्गे ने फोन करके कहा कि वह मौलवियोंसे माफी मांगे, नहीं तो उनके परिवार को बम से उड़ा दिया जाएगा. रिजवी ने कहा कि उन्होंने इस बारे में सआदतगंज थाने में मामला दर्ज कराया है.

दरअसल, रिजवी ने गत आठ जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मदरसों को ‘मानसिक कट्टरवाद’ को बढ़ावा देने वाला बताते हुए उन्हें स्कूल में तब्दील करने और उनमें इस्लामी शिक्षा को वैकल्पिक बनाने का अनुरोध किया था.

दरअसल, रिजवी ने गत आठ जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मदरसों को ‘मानसिक कट्टरवाद’ को बढ़ावा देने वाला बताते हुए उन्हें स्कूल में तब्दील करने और उनमें इस्लामी शिक्षा को वैकल्पिक बनाने का अनुरोध किया था. तभी से रिजवी कई मुस्लिम संगठनों के निशाने पर हैं. इसका जिक्र वह बार-बार मीडिया में करते आ रहे हैं.

उन्होंने पत्र में कहा था ‘‘केंद्र सरकार से अनुरोध है कि भारत में मदरसा बोर्डों को समाप्त कर सभी मदरसों को स्कूल की श्रेणी में तब्दील कर दिया जाए और ऐसे स्कूलों को राज्य शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से पंजीकृत कराया जाए. ताकि मुस्लिम समाज के बच्चों को अपने निजी स्वार्थ और कट्टरपंथी मानसिकता के चलते मानसिक शोषण कर रहे कुछ संगठनों और कुछ मौलवियों की साजिश से बचाया जा सके.’’

रिजवी ने पत्र में दावा किया था कि मदरसों में गलत शिक्षा मिलने की वजह से उनके विद्यार्थी धीरे-धीरे आतंकवाद की तरफ बढ़ जाते हैं. देश के ज्यादातर मदरसे जकात में दिए गए धन से ही चल रहे हैं और यह धन बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों से भी आ रहा है. यहां तक कि कुछ आतंकवादी संगठन भी मदरसों को माली मदद पहुंचा रहे हैं.

उन्होंने पत्र में कहा था ‘‘केंद्र सरकार से अनुरोध है कि भारत में मदरसा बोर्डों को समाप्त कर सभी मदरसों को स्कूल की श्रेणी में तब्दील कर दिया जाए और ऐसे स्कूलों को राज्य शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से पंजीकृत कराया जाए. ताकि मुस्लिम समाज के बच्चों को अपने निजी स्वार्थ और कट्टरपंथी मानसिकता के चलते मानसिक शोषण कर रहे कुछ संगठनों और कुछ मौलवियों की साजिश से बचाया जा सके.’’

जमीयत उलमा-ए-हिन्द ने भेजा कानूनी नोटिस
मुसलमानों के प्रमुख सामाजिक संगठन जमीयत उलमा-ए-हिन्द ने रिजवी को हाल में कानूनी नोटिस भेजकर 20 करोड़ रुपये बतौर हर्जाना मांगे थे. जमीयत उलमा-ए-हिन्द की महाराष्ट्र इकाई ने रिजवी को जारी नोटिस में कहा था कि शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने मदरसों को आतंकवाद और कट्टरवाद से जोड़कर उनका अपमान किया है. रिजवी ने आपराधिक नीयत से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मदरसों के बारे में गलत बातें कहीं, लिहाजा इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है. वह बिना शर्त लिखित माफी मांगें. साथ ही भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाने के लिये जमीयत को 20 करोड़ रुपये बतौर मानहानि के हर्जाने के तौर पर चुकाएं.

नोटिस में कहा गया है कि अगर रिजवी इस नोटिस पर ध्यान नहीं देते हैं और मांगों को पूरा नहीं करते हैं तो जमीयत के पास उनके खिलाफ मानहानि, दीवानी या आपराधिक मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं होगा.

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