Friday, April 19, 2024
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निफ्टी 11,000 के पार, सेंसेक्स भी 206 पॉइंट बढ़ा: शेयर बाजार

SI News Today

शेयर बाजार खुलते ही सेंसेक्स और निफ्टी ने नया रिकॉर्ड बनाया है। शेयर मार्केट खुलते ही सेंसेक्स 206 पॉइंट चढ़कर 36,000 के पार चला गया। वहीं निफ्टी में भी अच्छी बढ़त देखी गई। निफ्टी ने भी शेयर मार्केट खुलते ही 55 अंक की बढ़त हासिल की और पहली बार 11,000 के पार पहुंच गया। आपको बता दें कि पीएम इस समय स्विट्जरलैंड के दावोस में हैं। पीएम ने बड़ी कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक की थी और कहा था कि भारत का मतलब है बिजनेस। गौरतलब है कि बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सोमवार (22 जनवरी) को 286.43 अंक चढ़कर 35,798.01 अंक के नए शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 10,966.20 अंक के नए रिकॉर्ड पर बंद हुआ था।

बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स सोमवार को मजबूत रुख से खुलने के बाद 35,827.70 अंक तक पहुंच गया था। हालांकि, मुनाफा वसूली से यह कुछ नीचे आया। आखिर में सेंसेक्स 286.43 अंक या 0.81 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 35,798.01 अंक के नए रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ था। इससे पहले शुक्रवार को सेंसेक्स ने 35,511.58 का रिकॉर्ड बनाया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 10,975.10 अंक के दिन के नए रिकॉर्ड स्तर को छूने के बाद अंत में 71.50 अंक या 0.66 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 10,966.20 अंक के नए रिकॉर्ड पर बंद हुआ था। इससे पहले शुक्रवार को निफ्टी 10,894.70 अंक की नई ऊंचाई पर बंद हुआ था। उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजों तथा सरकार के हालिया उपायों के साथ कुछ क्षेत्रों के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दर में कटौती से शेयर बाजारों में रिकॉर्ड तोड़ तेजी का सिलसिला जारी है।

आपको बता दें कि समावेशी वृद्धि सूचकांक में भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं में 62वें स्थान पर है। भारत इस मामले में चीन (26वां) और पाकिस्तान (47वां) से भी पीछे है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी सालाना शिखर बैठक शुरू होने से पहले सोमवार (22 जनवरी) को यह सूची जारी की। नॉर्वे दुनिया की सबसे समावेशी आधुनिक विकसित अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वहीं लिथुआनिया उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर है। डब्ल्यूईएफ की वार्षिक शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित दुनिया के कई शीर्ष नेता भाग ले रहे हैं। डब्ल्यूईएफ ने कहा कि इस सूचकांक में रहन सहन का स्तर, पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊपन और भविष्य की पीढ़ियों को और कर्ज के बोझ से संरक्षण आदि पहलुओं को शामिल किया जाता है।

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