Friday, March 14, 2025
featuredटेक्नोलॉजी

गूगल ने डूडल बना कर इस तरह मशहूर लेखिका कमला दास दिया सम्‍मान…

SI News Today

विश्व के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने दक्षिण भारत की मशहूर नारीवादी लेखिका कमला दास का गूगल डूडल बनाया है। हालांकि आज ना तो उनकी जयंती है और ना ही पुण्यतिथि। एक फरवरी (1977) को उनकी आत्मकथा माई स्टोरी (मेरी कहानी) प्रकाशित हुई थी। रिलीज के बाद से ही यह किताब काफी विवादों रही। इस किताब का करीब 15 भाषाओं में अनुवाद किया गा। उनकी कविता के क्षेत्र में भी काफी रुचि थी। इस क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें ‘मदर ऑफ मॉडर्न इंडियन इंग्लिस पॉयट्री’ का खिताब दिया गया है। उनकी रचनाएं आज भी महिलाओं के लिए आदर्श साबित हो रही है। उनकी जिंदगी पर जल्द ही मलयालम भाषा में ‘आमी’ फिल्म रिलीज होने वाली है।

कमला दास ने अंग्रेजी में The Sirens (द सिरेंस 1964), Summer in Calcutta ( समर इन कलकत्ता 1965), The Descendants (दि डिसेंडेंट्स 1967), The Old Playhouse and Other Poems (दि ओल्डी हाउस एंड अदर पोएम्स 1973) जैसे महत्वपूर्ण पुस्तके लिखीं। मलायम में भी उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं, इनमें ‘पक्षीयिदू मानम’, ‘नरिचीरुकल पारक्कुम्बोल’, ‘पलायन’, ‘नेपायसम’, ‘चंदना मरंगलम’ और ‘थानुप्पू’ शामिल हैं। साहित्यिक कृतियों के लिए उन्हें कई सम्मान से नवाजा गया। कमला दास की ख्याति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें साल 1984 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।

कमला दास का जन्म पारंपरिक हिन्दू नायर (नलपत) परिवार में हुआ था और इस परिवार का संबंध राज परिवार से था। लेकिन कमला दास ने 11 दिसंबर 1999 को 65 साल की उम्र में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया। इसके बाद उन्होंने अपना नाम कमला सुरय्या रखा। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वो मृत व्यक्तियों को जलाने की हिन्दू प्रथा के खिलाफ थीं। उन्होंने दो मुस्लिम बच्चों को गोद भी लिया था।

बता दें कि कमला दास का जन्म 13 मार्च 1934 को केरल के त्रिशूर के पुन्नायुर्कुलम में हुआ था। बचपन से ही इनके घर में साहित्यिक माहौल था। पिता वीएम नायर केरल के प्रख्यात अखबार मातृभूमि के मैनेजिंग संपादक थे, जबकि कमला दास की मां नलपत बालामणि अम्मा मलयाली भाषा की जानी-मानी कवि थीं। 31 मई, 2009 में उनकी मृत्यु हो गई।

SI News Today

Leave a Reply