लखनऊ- भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय पूर्वजों की प्रेरणा और नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं की ऊर्जा से लक्ष्य साधेंगे। सोमवार को उमड़े कार्यकर्ताओं के बीच अपने स्वागत से अभिभूत डॉ. पांडेय ने यह जाहिर कर दिया कि न तो वह जनसंघ और भाजपा का संघर्ष भूले हैं और न ही भविष्य के प्रति एक इंच भी शिथिल पडऩे वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण को भी सार्वजनिक करने से वह नहीं चूके। लखनऊ आने से पहले पांडेय ने दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी का आशीर्वाद लिया और लखनऊ में स्वागत समारोह समाप्त होने के बाद पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृतिका पहुंचकर अपनी आस्था जताई।
भाजपा के 14वें अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को प्रदेश का नेतृत्व उस समय मिला जब केंद्र और प्रदेश दोनों जगह पार्टी की सरकार है। ऐसे में अपेक्षाएं बड़ी हैं और उससे भी बड़ी चुनौती दो माह बाद प्रदेश में होने वाला निकाय चुनाव और फिर 2019 का लोकसभा चुनाव है। इन चुनावों में नये अध्यक्ष की परीक्षा होनी है। नगर निगमों में तो भाजपा पहले भी एकतरफा प्रदर्शन करती रही लेकिन, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों की कठिनाइयां कम नहीं हैं। 2014 में लोकसभा की 73 सीट हासिल करने के बाद अब 80 सीटों का लक्ष्य है।
निवर्तमान अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने पिछले 42 प्रतिशत के मुकाबले अब 60 प्रतिशत मत हासिल करने की बात कर एक नई चुनौती भी सामने ला दी है। छात्र राजनीति से ही संगठन की दिशा में काम कर रहे डॉ. पांडेय इस चुनौती को बखूबी समझते हैं, इसीलिए उन्होंने गरीब आदमी के हक की बात की और भाजपा को गरीब जनता की सेवा की ओर उन्मुख करने का संकल्प दोहराया। इसीलिए साफ किया कि इसमें सरकार की अहम भूमिका होगी और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में संगठन को भी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी।
पुराने चेहरों को साथ लेकर चलने का संकल्प
भाजपा मुख्यालय में स्वागत के लिए बनाए गये मंच पर लगी तस्वीरों में भी इसके साफ संकेत दिख रहे थे। एक तरफ नरेंद्र मोदी और अमित शाह और दूसरी तरफ योगी और डॉ. महेंद्र पांडेय की तस्वीर लगी थी। अगले मिशन के लिए यही चार चेहरे प्रमुख हैं। पर, महेंद्र पांडेय ने पुराने चेहरों को भी साथ लेकर चलने का संकल्प दिखाया है। अपने भाषण में उन्होंने भाजपा के पहले अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठी से लेकर कल्याण सिंह, कलराज मिश्र, राजेंद्र गुप्त, राजनाथ सिंह, ओमप्रकाश सिंह, विनय कटियार, डॉ. रमापति राम त्रिपाठी, सूर्य प्रताप शाही और केशव प्रसाद मौर्य तक के योगदान की चर्चा की। उन्होंने दो चौकियों पर भाजपा कार्यालय खुलने और सभी पुराने दिग्गज नेताओं के योगदान को भी याद किया। पूर्वजों को याद कर वह नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं को बार-बार ऊर्जित कर रहे थे।
पुराने मुद्दे भूले नहीं हैं पांडेय
डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय जनसंघ और भाजपा के पुराने मुद्दे भूले नहीं हैं। संघर्ष को याद करते हुए उन्होंने जनसंघ का गोहत्या बंदी, किसान आंदोलन, जेपी मूवमेंट, आपात काल और अयोध्या आंदोलन में कार्यकर्ताओं के बलिदान को भी याद किया। यह इस बात का संकेत था कि वह पुराने मुद्दों पर भी मुखर होंगे। महेंद्र ने सभी पुराने नेताओं और उनके संघर्षों को सराहा। लगा कि वह सराहना से ही संगठन और लक्ष्य को पाना चाहते हैं। कहा भी कि जिन लोगों ने आहुति दी है उन्हें याद करना जरूरी है।
कार्यकर्ताओं के लिए संयम की लकीर
भाजपा सरकार बनने के बाद सहारनपुर, आगरा, मेरठ, गोरखपुर समेत कई जगह कार्यकर्ताओं की सरकारी मशीनरी से अभद्र व्यवहार की शिकायत आई। डॉ. पांडेय कार्यकर्ताओं को संकल्प का पाठ पढ़ाना नहीं भूले। उन्होंने तबादलों और अफसरों तक पैरवी के लिए संयम बरतने के लिए एक लकीर भी खींची।