अमेरिका के एक वरिष्ठ सांसद ने एच 1बी वीजा आवंटन में लॉटरी प्रणाली समाप्त करने की मांग की है। सांसद जिम सीनसीनब्रेनर ने कहा कि इस कार्यक्रम को सुधार की ‘बेहद’ आवश्यकता है और यह काम बेहद संजीदगी तथा खुले दृष्टिकोण के साथ किया जाना चाहिए। आव्रजन एवं सीमा सुरक्षा पर हाउस ज्यूडीशियरी सब कमेटी के अध्यक्ष सीनसीनब्रेनर ने फोर्ब्स मैगजीन के संपादकीय में लिखा, ‘‘वर्तमान प्रणाली में सालाना 85 हजार एच 1बी वीजा लॉटरी प्रणाली के जरिए आवंटित किए जाते हैं। अगर अमेरिका आने के लिए प्रतिस्पर्धा है, तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमें जो मिले वह सर्वश्रेष्ठ हो तथा बेहतरीन हो न कि बस पासा फेंको और नतीजे स्वीकार करो। उन्होंने कहा, ‘‘उच्च मानक और सख्त योग्यताओं को लागू किया जाना चाहिए। वह नौकरी जो अमेरिकी द्वारा भरी जा सकती है उसे कम धन के लिए वीजा धारकों को नहीं दिया जाना चाहिए।
बता दें कि बीते माह ही डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा ने एक नई व्यवस्था दी है जिसके तहत किसी सामान्य कम्प्यूटर प्रोग्रामर को अब विशेषज्ञता-प्राप्त पेशेवर नहीं माना जाएगा जो एच1बी कार्य वीजा के मामले में एक अनिवार्य शर्त रखी है। इस कदम का असर एच1बी कार्य वीजा के लिए आवेदन करने वाले हजारों भारतीयों पर पड़ सकता है। यह व्यवस्था अमेरिका के डेढ़ दशक पुराने दिशानिर्देशों के ठीक उलट हैं जिन्हें नई सहस्राब्दी की जरूरतों को पूरी करने के लिए जारी किया गया था।
अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं (यूएससीआईएस) ने कहा है कि प्रवेश के स्तर वाले कम्प्यूटर प्रोग्रामर अब सामान्य तौर पर ‘‘विशिष्ट पेशे’’ की सूची में स्थान नहीं पा सकेंगे। एससीआईएस ने 31 मार्च को एक ज्ञापन जारी करके यह स्प्ष्ट किया है कि अब कौन सी चीजें ‘विशिष्ट पेशे’ के लिए जरूरी हैं।
इस कदम का असर एक अक्टूबर 2017 से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष के लिए एच1बी कार्य वीजा का आवेदन करने वाले हजारों भारतीयों पर पड़ सकता है। इसके लिए प्रक्रिया कल शुरू हो गई है।
यूएससीआईएस पॉलिसी मेमोरैंडम में कहा गया है, कोई व्यक्ति कम्प्यूटर प्रोग्रामर के तौर पर कार्यरत हो सकता और वह सूचना तकनीक कौशल तथा ज्ञान का इस्तेमाल किसी कंपनी को उसके लक्ष्य को हासिल कराने के लिए कर सकता है लेकिन उसकी नौकरी उसको ‘विशिष्ट पेशे’ के लिए नियुक्त कराने के लिए पर्याप्त नहीं है।