चीन के साथ अपनी दोस्ती घोषित करने के दो साल बाद यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा-आई) के प्रतिबंधित उग्रवादी समूह ने दलाई लामा को सलाह दी है कि वह अपनी यात्रा के दौरान बीजिंग के खिलाफ कुछ भी न कहें।
ये कहा जा रहा है कि उल्फा नेता परेश बरुआ चीन में छिपा हुआ है और उसने असम की कथित संप्रभुता हासिल करने के लिए चीन की मदद मांगी है।
आपको बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताता रहा है। उल्फा नेता परेश बरुआ भी इसमें चीन का ही साथ देता रहा है। इसके अलावा वो चरमपंथी संगठनों को हथियार भी सप्लाई करता है। इसके लिए 2014 में बांग्लादेश की एक अदालत बरुआ को मौत की सजा भी सुना चुकी है।
सुरक्षा बलों का मानना है कि उल्फा अप्रैल के पहले हफ्ते में होने वाले दलाई लामा की यात्रा में जरूर समस्या पैदा करेगा इसलिए राज्य में हाई अलर्ट भी जारी कर दिया गया है।
एक ओपन लेटर में संगठन अध्यक्ष अभिजीत ‘असम’ बर्मन ने धार्मिक नेता को चेतावनी देते हुए लिखा है चीन की आपत्तियों के बावजूद तवांग जाने की योजना काफी मूर्खता भरी है और हमारे लिए चिंता का विषय है।
इसके पहले जब दलाई लामा ने तवांग यात्रा की घोषणा थी तब चीन ने भारत-चीन संबंधों में गंभीर नुकसान की चेतावनी दी थी। आपको बता दें कि कि 1 अप्रैल से दलाई लामा असम में होने वाले ब्रह्मपुत्र उत्सव में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वो अरुणाचल प्रदेश के तवांग जाएंगे। इस दौरान वो 2 दिन असम में भी रुकेंगे।