विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि कश्मीर के मुद्दे को पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय अदालत (आइसीजे) में नहीं ले जा सकता। यह मामला द्विपक्षीय वार्ता के जरिए ही सुलझाया जा सकता है। विदेश मंत्री ने कहा कि इस मामले में भारत की नीति स्पष्ट है- पाकिस्तान के साथ सारे मुद्दों को हम वार्ता के जरिए ही सुलझाना चाहते हैं। लेकिन पाकिस्तान को यह भी समझना होगा कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर विदेश मंत्री ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पाकिस्तान के मामले में भारत सरकार की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। पाकिस्तान के कानून मंत्रालय के अधिकारी की कथित टिप्पणी पर सुषमा ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को आइसीजे में नहीं ले जा सकता। इसका हल सिर्फ द्विपक्षीय वार्ता के जरिए निकाला जा सकता है। विदेश मंत्री ने कहा कि हम पाकिस्तान के साथ सारे मुद्दों का द्विपक्षीय हल चाहते हैं, लेकिन बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। बताते चलें कि पाकिस्तानी अधिकारी ने कथित तौर पर कहा था कि बाकी पेज 8 पर कश्मीर के मुद्दे को इस्लामाबाद आइसीजे में ले जाएगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान भले ही दावा करे, लेकिन सच तो यह है कि कश्मीर को आइसीजे में नहीं ले जाया जा सकता। शिमला और लाहौर समझौते में इस बारे में बहुत साफ-साफ कहा गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को तीन स्तंभ के आधार पर तैयार किया है। पहला, हम सभी मसलों को वार्ता के माध्यम से हल करना चाहते हैं। दूसरा, इन मसलों में किसी तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जा सकती। तीसरे, आतंकवाद और वार्ता एक-साथ नहीं चल सकते।
ट्रंप के पेरिस समझौते से बाहर होने पर सुषमा ने कहा कि ट्रंप के आने के बाद भारत-अमेरिका के रिश्ते में कोई बदलाव नहीं आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप से तीन बार बात की। वित्त मंत्री जेटली ने वहां का दौरा भी किया है। एच1बी वीजा पर उन्होंने कहा कि अभी तक तो इसमें तो कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन अमेरिकी प्रशासन ने जो कदम उठाया है, वह चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि हम इस मामले में ट्रंप प्रशासन के साथ संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री मोदी इस मसले को उठाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका रिश्ते पारस्परिक फायदे पर आधारित हैं। अमेरिका के साथ हमारी सामरिक साझेदारी काफी मजबूत है। भारत ने पेरिस समझौते पर दस्तखत किसी दबाव में नहीं किया है। हमने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि प्रकृति के साथ हमारा जुड़ाव है।
सुषमा ने कहा कि पिछले छह साल (यूपीए के तीन साल और एनडीए के तीन साल) में एफडीआइ में 37.15 फीसद की बढ़त हुई है। भारत का महत्त्व दुनिया भर में बढ़ रहा है। अनिवासी भारतीयों का भी मनोबल बढ़ा हुआ है। उन्होंने कहा- विदेश में जब भी कोई विदेशी मुसीबत में होता है, तो उसे यह भरोसा होता है कि हम उनके साथ रहेंगे। भारतीयों की सुरक्षा विदेश मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। विदेशों में मुसीबत में फंसे करीब 80,000 भारतीयों को भारत लाया गया है। उन्होंने कहा कि पासपोर्ट सेवा में सुधार किया गया है और उसका विस्तार भी किया गया है। सुषमा स्वराज ने कहा कि पिछले तीन साल में विदेशों में फंसे 80 हजार भारतीयों को सफलतापूर्वक स्वदेश लाया गया।