भारतीय सेना वर्तमान समय में पाकिस्तान सीमा के साथ लगने वाली 778 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर हालात असामान्य होने पर व्यस्त हो सकती है। ऐसा धीरे-धीरे और लगातार बढ़ता जा रहा है। चीन के साथ लगने वाली 4057 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल में भी हालात कुछ ऐसे ही नजर आ रहे हैं। ऐसे में लगभग 13 लाख संख्याबल वाली भारतीय सेना ने उत्तरी सीमाओं के पास फंड की कमी के बावजूद अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इस साल 17 कॉर्प्स को नए हथियार, एयर डिफेंस और इंजीनियर्स ब्रिगेड्स को लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैलाया जाएगा। 72 इनफेंट्री डिविजन जिसका हेडक्वॉर्टर पठानकोट में है, को भी अगले 3 सालों में पूरी तरह से ऑपरेशनल बनाया जाएगा। सेना के सूत्र ने बताया कि फिलहाल शुरुआत में 1 ही ब्रिगेड है, लेकिन तीन साल में जब 72 इनफेंट्री डिविजन पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगा तो इसमें 3 ब्रिगेड होंगे। ऐसा होने में तीन साल का वक्त लगेगा।
बता दें कि आर्मी ने 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स की शुरुआत साल 2014 में की थी। इतना ही नहीं चीन की पिपुल लिबरेशन आर्मी सेना को टक्कर देने वाले और तोपखाने, बख्तरबंद, एयर डिफेंस, इंजिनियर ब्रिग्रेड से लैस इस 17 कॉर्प्स को लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश और पाकिस्तान तक फैलाया जाएगा। मामले में जानकारी देते हुए सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने बताया कि 17 कॉर्प्स में नए हथियार, एयर डिफेंस और इंजीनियर्स ब्रिगेड्स को लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैलाया जाएगा। जिसमें 90,274 सैनिक होंगे। उन्होंने आगे कहा कि इसमें करीब 64,678 करोड़ का खर्च आएगा जोकि 2021 तक होगा। इतना ही नहीं चीन की पिपुल लिबरेशन आर्मी सेना को टक्कर देने वाले और तोपखाने, बख्तरबंद, एयर डिफेंस, इंजिनियर ब्रिग्रेड से लैस इस 17 कॉर्प्स को भी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैलाया जाएगा। इसमें न्यूक्लिय बैलेस्टिक मिसाइल, फाइटर जेट्स, टैंक्स और सुपर मिसाइल छोड़ने वाला ब्रह्मोस भी शामिल है। ये जानकारी टीओआई के हवाले से है।
बता दें कि सेना के लिए बड़ी सम्सया एलएसी पर बुनियादी ठांचे के विकास की धीमी गति रही है। उदाहरण के लिए बता दें कि एलएसी के करीब बनाई जानी वाली 73 सड़कों में से केवल 24 का ही निर्माण कार्य पूरा हो पाया है। हालांकि मार्च 2019 से जून 2021 तक एलएसी के साथ ऊंचाई वाले इलाकों में चीन को धमकी देने के लिए 145 एम 777 अल्ट्रा-लाइट हाईटिजर्स की प्रक्षेपित डिलीवरी आ गई है। अमेरिकी सरकार के साथ 737 मिलियन के रक्षा सौदे के तहत 18 मई को भारत में पहले दो हाट्टिजर आए थे।