इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी की तनख्वाह पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में 63 प्रतिशत घटकर 79 लाख रुपये सालाना हो गई। विप्रो चेयरमैन प्रेमजी को पिछले वित्त वर्ष में कपनी की तरफ से कोई कमीशन नहीं दिया गया। वीप्रो ने 2016-17 से पहले के वित्त वर्ष 2015-16 में अजीम प्रेमजी को तनख्वाह के तौर पर करीब 2.17 करोड़ रुपये दिए थे। अजीम प्रेमजी को कंपनी की तरफ से तनख्वाह, भत्ते और दीर्घकालीन कमीशन दिए जाते हैं। अमेरिकी बाजार नियामक संस्था सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन के अनुसार प्रेमजी को पिछले वित्त वर्ष में सभी मदों में कुल मिलाकर 79 लाख रुपये मिले थे।
संस्था की तरफ से जारी दस्तावेज के अनुसार, “अजीम एच प्रेमजी को पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2017 में वीप्रो के कुल कारोबार में बढ़ोतरी का 0.5 प्रतिशत कमीशन के तौर पर मिलना था…31 मार्च 2017 को खत्म हुए वित्त वर्ष में अजीम प्रेमजी को दिया गया कमीशन शून्य था।” रिपोर्ट के अनुसार विप्रो के दूसरे शीर्ष पदाधिकारियों की तनख्वाह भी तिमाही समीक्षा के अनुरूप दी गई। इन पदाधिकारियों को उनके निजी प्रदर्शन और टीम के प्रदर्शन को अलग-अलग मानकों के आधार पर मूल्याकंन किया गया।
वित्त वर्ष 2015-16 में अजीम प्रेमजी को 1,39,634 डॉलर (तत्कालीन विनिमय मूल्य के अनुसार 80 लाख रुपये) कमीशन के तौर पर मिले थे। वित्त वर्ष 2016-17 में विप्रो की सालाना आया वित्त वर्ष 2015-16 की तुलना में 4.7 प्रतिशत कम रही। पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में तीसरी तिमाही की तुलना में आईटी सेक्टर की आय में कमी देखी गई।
अजीम प्रेमजी के बेटे रिशद प्रेमजी की तनख्वाह भी पिछले वित्त वर्ष में कम हुई है। वित्त वर्ष 2015-16 की तुलना में उनका सालाना पैकेज वित्त वर्ष 2016-17 में करीब 20 प्रतिशत कम हुआ। रिशद प्रेमजी विप्रो में चीफ स्ट्रैटजी ऑफिसर हैं और वो कंपनी के बोर्ड के सदस्य भी हैं। विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी और उनके बेटे की तनख्वाह भले ही कम हुई हो कंपनी के सीईओ आबिदअली नीमचवाला का सालाना पैकेज पिछले वत्त वर्ष में 16 प्रतिशत बढ़ा। नीमचवाला को फरवरी 2016 में कंपनी का सीईओ बनाया गया था। पहले वो विप्रो को चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीओओ) थे।
विप्रो के अलावा दूसरी प्रमुख आईटी कंपनियों के शीर्ष पदाधिकारियों की तनख्वाह और अन्य आर्थिक लाभ में पिछले एक साल में कमी आई है। इंफोसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विशाल सिक्का का सालाना पैकेज वित्त वर्ष 2016-17 में 67 प्रतिशत कम हो गया था। विशाल सिक्का को वित्त वर्ष 2015-16 में करीब 48.73 करोड़ रुपये मिले थे जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में उन्हें 16.01 करोड़ रुपये ही मिले थे। इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने कंपनी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की तनख्वाह ज्यादा बढ़ाने की आलोचना की थी। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों की वीजा नीति बदलने के कारण चालू वित्त वर्ष में हजारों कर्मचारियों की नौकरी जा चुकी है।