प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पेन की सफल यात्रा संपन्न करके बुधवार (31 मई) को रुस पहुंच चुके हैं। यहां वे राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ एक सालाना सम्मेलन में भाग लेंगे। सम्मेलन में दोनों पक्ष कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे और सबकी निगाहें भारत के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों के लिए रूस की मदद से जुड़े करार पर हैं। सम्मेलन शुरू होने से कुछ घंटे पहले भारतीय अधिकारियों ने बताया कि तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की इकाई 5 और 6 के निर्माण के लिए रिण सहायता पर समझौते के विवरण और भाषा को लेकर अंतिम दौर की बातचीत चल रही है।
सूत्रों ने कहा कि समझौते पर काम जारी है। संयंत्रों का निर्माण भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और रूसी परमाणु संयंत्रों की नियामक संस्था रोसाटॉम की सहायक कंपनी एस्तमस्ट्रॉयएक्सपोर्ट कर रहे हैं। दोनों पक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रेलवे, सांस्कृतिक आदान-प्रदान समेत व्यापक क्षेत्रों में और निजी पक्षों के बीच अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में भी 12 समझौतों पर दस्तखत कर सकते हैं।
दोनों नेता एक ‘विजन डॉक्यूमेंट’ भी जारी करेंगे। यदि परमाणु समझौते पर दस्तखत किये जाते हैं तो यह सम्मेलन का केंद्रबिंदु होगा। इससे पहले अक्टूबर 2016 में गोवा में पिछले द्विपक्षीय सम्मेलन में भी यह केंद्र बिंदु था। अगर करार हो जाता है तो एक-एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाली दोनों इकाइयां देश में परमाणु ऊर्जा उत्पादन को महत्वपूर्ण तरीके से बढ़ाएंगी। फिलहाल देश में सभी 22 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की बिजली उत्पादन क्षमता 6780 मेगावाट है।
अक्टूबर 2015 में मोदी और पुतिन के एक संयुक्त बयान में दिसंबर 2016 तक परमाणु इकाइयों पर जनरल फ्रेमवर्क समझौते का वादा किया गया था। अंतर-मंत्रालयी समूह की मंजूरी के बाद इसे स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया। लेकिन सूत्रों का कहना है कि रूस द्वारा दिया जाने वाला क्रेडिट प्रोटोकॉल (ऋण सहायता) अवरोध साबित हो रहा है।
रूस में भारत के राजदूत पंकज सरण ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं के बीच काफी परस्पर विश्वास और आपसी तालमेल है जो पिछले तीन साल में विकसित हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि कल होने वाले सम्मेलन में दोनों नेता मौजूदा संबंधों का जायजा लेंगे और भविष्य के दृष्टिकोण के लिए रूपरेखा पर विचार-विमर्श करेंगे।