Now the new technology will be ready with Botanical wastes and filtered Petrol.
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आज पेट्रोल के बढ़ते दाम देश की आर्थिक व्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है । दिन प्रतिदिन पेट्रोल के बढ़ते दाम से आम जनता परेशान है । लेकिन वही इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने एक तकनीक खोज निकाली है । जिससे न सिर्फ हमारा वातावरण ही शुद्ध होगा बल्कि इस तकनीक से स्वच्छ ईंधन का उत्पादन भी कर सकेगें ।
बता दे की वैज्ञानिकों ने वानस्पतिक कचरे और बुरादे से ईंधन बनाने की एक तकनीक को निजात किया है । जिसकी मदद से कचरे में मौजूदा गैस से स्वच्छ ईंधन का उत्पादन कर सकते है । बेल्जियम की कैथोलिक यूनिवर्सिटी के रिसर्च कर्ताओं ने बुरादे में मौजूद सेलुलोज को हाइड्रोकार्बन में बदलने में कामयाब रहे है .जिसे पेट्रोल में मिल्या जा सकता है । यूनिवर्सिटी के रिसर्च कर्ता बर्ट सेल्स ने कहा सेलुलोज युक्त पेट्रोल सेकंड जेनरेशन का बायोफ्यूल है ।
बर्ट सेल्स ने बताया कि वनस्पति कचरे से रासायनिक प्रक्रिया द्वारा एक ऐसा उत्पाद तैयार होता है । जो देखने में बिल्कुल पेट्रोल कि तरह लगता है जिसमे फर्क कार्बन डेटिंग से ही किया जा सकता है । रिसर्च कर्ताओं ने अपनी प्रयोगशाला में 2014 में एक रासायनिक रिएक्टर निर्मित किया था जो लघु स्तर पर सेलुलोज पेट्रोल का उत्पादन कर सकता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या उद्योग के क्षेत्र इस ईंधन का उपयोग होगा ? क्या इसे बड़ी मात्रा में तैयार किया जा सकेगा ?
रिसर्च कर्ताओं ने मौजूदा पेट्रोल परिशोधन प्रक्रिया के एक हिस्से की पहचान की जिसमें सेलुलोज को पेट्रोल में मिला कर एक सुदृढ़ पेट्रोल तैयार किया जा सकता है। सेल्स ने कहा कि हमने सेलुलोज पेट्रोल बनाने की जो विधि विकसित की उसके बारे में बताते हुए सेल्स ने कहा कि इसे उद्योग जगत बिना किसी संकोच के अपना सकता है। इससे पेट्रोल की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा और इसके उत्पादन के लिए मौजूदा संयंत्रों का भरपूर उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस समय भी जो पेट्रोल आ रहा वो भी सेलुलोजयुक्त है। यह पेट्रोल कभी भी पूरी तरह नवीकरणीय पदार्थों से तैयार नहीं किया जा सकता। पेट्रोल की खपत इतनी ज्यादा है कि सारा पेट्रोल वानस्पतिक कचरे से नहीं बनाया जा सकता।