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महारानी गायत्री देवी जी जयपुर की पुण्यतिथि पर नमन एवं श्रद्धांजलि।

Source :Viwe Source

महारानी गायत्री देवी थी गजब और विलक्षण !
वे इतनी खूबसूरत थीं कि वोग पत्रिका ने उन्हें दुनिया की सर्वाधिक सुंदर 10 महिलाओं में शुमार किया था। वे इतनी हठी थीं कि उन्होंने देश की सबसे ताकतवर महिला इंदिरा गांधी से टकराव लिया। उन्हें जेल की हवा तक खानी पड़ी। उन्होंने तमाम अनोखे काम किए। गायत्री देवी का जन्म 23 मई 1919 को पश्चिम बंगाल के कूचबिहार राजघराने में महाराज जीतेंद्र सिहं के यहां हुआ था। वे लंदन में पैदा हुई। उनकी मां ने उनका नाम आयशा रखा। जब उनकी एक मुस्लिम दोस्त ने यह बताया कि यह तो मुस्लिम नाम है तब उन्होंने उनका नाम बदला। उनकी मां इंदिरा राजे की शादी मराठा महाराजा- शिवाजीराव गायकवाड़ से हुई थी। उन्होंने अपनी शिक्षा वहीं हासिल की। उन्हें घुड़सवारी, पोलो खेलने, शिकार का शौक था। उन्होंने महज 12 साल की उम्र में एक तेंदूए को मार दिया था व 27 शेरों का शिकार किया।

जब गायत्री देवी कोलकत्ता में पोलो का मैच देखने गई थी तो उनकी मुलाकात सवाई मान सिंह से हुई। दोनों में बहुत जल्दी प्यार हो गया। वे 12 साल की थी व महाराज 21 साल के थे। उनके दो विवाह हो चुके थे। जहां महारानी लड़कों जैसे कपड़े पहनकर बंदूक लेकर, घुड़सवारी करतीं घूमतीं थीं, वहीं महाराज के पहले से दो बीवियां थीं जो राजस्थान की राजपूताना पंरपरा का निर्वाह करते हुए परदे में रहती थीं। शुरु में उनके घर वाले तैयार नहीं हुए। खासतौर से उनके भाइयों ने कहा कि महाराज तो औरतों के चक्कर में रहते हैं इसीलिए तुमसे शादी करना चाहते हैं। कुछ समय बाद तुम्हें भी भुला देंगे।

कहते है गायत्री देवी ने जवाब दिया कि मुझे नहीं लगता कि मुझसे शादी करने के बाद महाराज को किसी और औरत को देखने का भी मन होगा। दोनों का छह साल तक अफेयर चला और अंततः 9 मई 1940 को उनकी शादी हो गई। महारानी को मंहगी कारों, विमानों का शौक था। उन्हें मोती व शिफान की साड़ियां बेहद पसंद थीं। दावा किया जाता है कि वे इतनी सुंदर थीं कि उन्हें मैकअप करने व मंहगे जेवर पहनने की जरुरत ही नहीं पड़ती थी।
शादी होने के बाद भी वे उसी अंदाज में जीती रहीं। उन्होंने जरा भी परदा नहीं किया और लड़कियों को आगे लाने के लिए जयपुर में एक स्कूल भी स्थापित किया। उन्होंने राजस्थान में ब्लू पॉटरी की शुरुआत की।
आजादी के बाद जब सी राजगोपालाचारी ने स्वतंत्र पार्टी बनायी तो वे उससे जुड़ गई। उन्होंने अपने पति की सहमति से जिन्हें कि वे ‘जय’ कहकर बुलाती थी 1962 में जयपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और दुनिया भर में सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकार्ड बनाया।

इस जीत के बाद वे अमेरिका गईं जहां वे पारिवारिक मित्र राष्ट्रपति जान एफ कैनेडी से मिलने के लिए व्हाइट हाउस भी गईं। वहां कैनेडी दंपत्ति ने लान में घुमाते हुए वहां मौजूद लोगों से उनका यह कहते हुए परिचय कराया कि इनसे मिलिए जिन्होंने लोकतंत्र में जीत का जो रिकार्ड बनाया है उसे कोई नहीं तोड़ पाएगा। यह गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में भी दर्ज हुआ। हालांकि बाद में राम विलास पासवान ने उनका यह रिकार्ड तोड़ा। हालांकि इस सच को महारानी स्वीकार नहीं करती थी। लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 में उन्हे कांग्रेस में शामिल होने का न्यौता दिया था पर वे इस पार्टी की समाजवादी नीतियों से चिढ़ती थीं इसलिए उन्होंने यह नहीं माना। मजे की बात यह थी कि कांग्रेस ने उनके पति को स्पेन का राजदूत बनाया हुआ था और वे कांग्रेस के खिलाफ थीं। इंदिरा गांधी और वे एक-दूसरे को सख्त नापसंद करते थे। खासतौर से जब 1967 में स्वतंत्र पार्टी ने राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत की अगुवाई वाली जनसंघ के साथ चुनाव लड़कर बहुमत हासिल किया तो इंदिरा गांधी बेहद चिढ़ गईं। उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगवा दिया। तब मजेदार बात यह रही कि गायत्री देवी लोकसभा का चुनाव तो जीत गई पर विधानसभा का चुनाव मालपुरा सीट से कांग्रेस के दामोदर लाल व्यास से हार गई।

बाद में इंदिरा गांधी ने राजा-महाराजाओं के प्रिविपर्स बंद कर दिए। जब आपातकाल लागू हुआ तो इंदिरा गांधी ने उनके यहां कर चोरी के आरोप में छापे पड़वा कर उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया जहां वे पांच माह तक बंद रहीं। रिहा होने के बाद उन्होंने राजनीति से सन्यास लिया। हालांकि ममता बनर्जी उन्हें कूच बिहार से अपनी पार्टी का लोकसभा का उम्मीदवार बनाना चाहती थी पर वे इसके लिए तैयार नहीं हुई। वे जवाहर लाल नेहरु को भी नापसंद करती थीं। एक वक्त उनके घर में 500 नौकर थे। खासतौर से इनमें खाना बनाने वाले रसोइए कुचबिहार से लाए गए थे। उनका लंदन में घर था जहां वे गर्मी की छुट्टियां बिताती थीं। वे रामबाग पैलेस में रहती थीं। जब महाराज सवाई सिंह ने उसे होटल में बदलने का फैसला किया तो उन्होंने उनसे इसकी वजह पूछी। उनका कहना था कि मुझे महल की जरुरत नहीं है पर जयपुर को एक अच्छे होटल की जरुरत है। इस होटल के सिंगल सुइट का किराया लाख से ऊपर है। जब तक वे जीवित रहीं, वे रामबाग पैलेस में ही रहती थीं। दिन में उनके द्वारा आमंत्रित लोगों की सूची तैयार होती। शाम को उन लोगों को आमंत्रित किया जाता। शैंपेन पिलायी जाती। अगर महारानी किसी मेहमान से नाराज हो जाती या उसकी कोई बात उन्हें पसंद नहीं आती तो उसे चलते समय खाने-पीने का बिल थमा दिया जाता।

जब उनकी आत्मकथा ‘ए प्रिंसेज मेमायर्स’ छपी तो उन्होंने लंदन में उसके प्रकाशक को फोन करके गाड़ी भेजने को कहा ताकि वे शापिंग करने जा सकें। बाद में ड्राइवर ने बताया कि वे सरे गई और उन्होंने एक मकान खरीद लिया। हालांकि ड्राइवर को एक भी पौंड टिप में नहीं दिया!

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