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यहाँ जानिए 90 वें ऑस्कर अवॉर्ड्स की सबसे खास बातें…

इस साल के ऑस्कर समारोह के दौरान सभी की निगाहें इसी बात पर टिकी थीं कि क्या पिछले साल की तरह इस बार भी ऑस्कर के ऑर्गेनाइजर्स की तरफ से कोई गलती होगी?

गनीमत थी कि इस साल ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और जब बेस्ट फिल्म के खिताब देने की बारी आई तब वारेन बेट्टी और फे डनवे ने किसी तरह की कोई गलती नहीं की. किसी भी हिंदुस्तानी का कनेक्शन इस साल के ऑस्कर के साथ नहीं था लेकिन जब बेस्ट अडाप्टेड स्क्रीनप्ले के लिए मशहुर फिल्ममेकर जेम्स आइवरी को उनका ऑस्कर दिया गया तब हिंदुस्तान ने फख्र महसूस किया.

जेम्स आइवरी, मशहूर मर्चेंट-आइवरी जोड़ी के आइवरी है और इनकी कई फिल्में 70 और 80 के दशक में भारत में बन चुकी है. शशि कपूर को उनका फिल्मी ब्रेक जेम्स आइवरी ने ही अपनी फिल्म से दिया था लेकिन यह अलग बात है की उनकी फिल्म चार दीवारी पहले रिलीज हुई थी.

बीते साल जो सितारे इस दुनिया से रुखसत हो गए थे जब उनको श्रद्धांजलि देने की बात आई तब श्रीदेवी और शशि कपूर को देखकर आंखों में नमी जरूर आई. 2018 का ऑस्कर कुछ ऐसा था जो किसी भी एक फिल्म के नाम नहीं था. द शेप ऑफ़ वाटर, डनकर्क, डार्केस्ट ऑवर, थ्री बिलबोर्ड्स आउटसाइड इब्बिंग मिसौरी, फैंटम थ्रेड, ब्लेड रनर 2049, गेट आउट इन सभी के खाते में कुछ ना कुछ जरूर गया.

अगर उलटफेर की बात हो तो इस साल ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला. पूरी आशंका थी कि गैरी ओल्डमैन को फिल्म डार्केस्ट ऑवर में उनके विंस्टन चर्चिल के शानदार रोल के लिए ऑस्कर से नवाजा जाएगा और यही हुआ भी.

बेस्ट एक्ट्रेस की श्रेणी में भी किसी तरह का का कोई उलटफेर नहीं हुआ और यहां भी फ्रांसिस मैकडोरमोंड को उनका अपना ऑस्कर मिल गया. बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर की श्रेणी में भी वही हुआ जिसकी उम्मीद सभी को थी. सैम रॉकवेल को फिल्म थ्री बिलबोर्ड्स आउटसाइड इब्बिंग मिसौरी और एलिसन जेनी को फिल्म आई टोन्या के लिए ऑस्कर दिया गया.

लेकिन इस साल के ऑस्कर की सबसे बड़ी बात यह थी कि Me Too कैंपेन जिसकी लहर हॉलीवुड में अक्टूबर से चल रही थी उसको पूरी तरह से गले लगाया. जिमी किम्मेल ने अपने शुरुआत की स्पीच में ही इसका समां बांध दिया था और हार्वे वाईंस्टीन की हरकतों की निंदा की अपने ही मजाकिया अंदाज़ में.

बात वहीं पर खत्म नहीं हुई थी. इस पूरे कैंपेन में एश्ली जड और सलमा हायेक बाकी औरतों के साथ बिलकुल आगे चली थी और उनको भी स्टेज पर बुलाकर ऑस्कर ने एक तरह से अपने समर्थन की बात कही.

इस साल के ऑस्कर के जोक्स भी वैसे थे जो इतने नुकीले नहीं थे जो हम पिछले कुछ सालों में देखते आए थे. एक तरह से सौम्य वातावरण देखने का मौका मिला. द शेप ऑफ वॉटर को जहां सबसे ज्यादा 4 ऑस्कर मिले तो वहीं दूसरी तरफ दुनकिर्क के हत्थे तीन अवार्ड्स लगे. डार्केस्ट ऑवर और थ्री बिलबोर्ड्स आउटसाइड इब्बिंग मिसौरी के हाथ दो ऑस्कर अवार्ड्स लगे. आश्चर्य इस बात पर होता है कि 13 कैटेगरी में नामांकित होने के बावजूद द शेप ऑफ़ वॉटर को सिर्फ 4 ऑस्कर ही नसीब हुए.

लेकिन इस साल के ऑस्कर अवार्ड में अगर सबसे बड़े पल की बात की जाए तो वो निश्चित रूप से रॉजर डॉकिन्स की जीत ही थी. रॉजर डॉकिन्स की बेस्ट सिनेमैटो ग्राफी की कैटेगरी में उनको यह खिताब दिया गया. इसके पहले रॉजर को 13 बार उनके काम के लिए नामांकित किया जा चुका था लेकिन 22 साल के लम्बे इंतज़ार के बाद उनको ऑस्कर मिल ही गया.

लेकिन ये बात भी सच है कि महिलाओं के ब्लैक कपड़े उतनी तादाद मे समारोह के दौरान देखने को नहीं मिले जिसकी उम्मीद थी. क्या इससे ये सोचा जा सकता है कि कि मी टू कैंपेन की लहर अब खत्म हो चुकी है?

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