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मुस्लिम महिलाओं को दारुल उलूम ने किया ‘इस्लाम से खारिज’, जानिए वजह…

दिवाली के मौके पर वाराणसी में भगवान राम की आरती करने वाली मुस्लिम महिलाओं को लेकर दारुल उलूम सख्त हो गया है। दारुल उलूम देवबंद ने आरती करने वाली महिलाओं को इस्लाम से खारिज करते हुए कहा है कि अगर कोई भी मुस्लिम अल्लाह के अलावा किसी और भगवान को मानता है तो वह मुस्लिम नहीं रहता। इसके अलावा दारुल उलूम ने उन महिलाओं को जिन्होंने भगवान राम की आरती की थी, उन्हें हिदायत दी है कि वे अल्लाह से माफी मांग कलमा पढ़ कर ही इमान में दाखिल हों।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कुछ मुस्लिम महिलाओं ने दिवाली के मौके पर भगवान राम के सामने दिया जलाकर आरती की थी। नाजनीन अंसारी नाम की महिला का कहना है कि अयोध्या एक तीर्थ स्थान का नाम है, जहां इमाम-ए-हिंद श्री राम रहते हैं। नाजनीन का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रम करने से हिंदू और मुस्लिमों के बीच की दूरियां कम होंगी। खबर के मुताबिक नाजनीन का कहना है, ‘श्री राम हमारे पूर्वज हैं। हम हमारे नाम और धर्म बदल सकते हैं लेकिन अपने पूर्वजों को नहीं बदला जा सकता। भगवान राम की पूजा करने से ना केवल हिंदू और मुस्लिमों के बीच की दूरियां कम होंगी बल्कि ऐसा करने से इस्लाम की उदारता भी दिखाई देती है।’

दिवाली के मौके पर इस कार्यक्रम का आयोजन मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान ने मिलकर किया था। इस कार्यक्रम में कुछ मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू महिलाओं के साथ मिलकर भगवान राम की पूजा की और आरती गायी थी। मुस्लिम महिलाओं द्वारा भगवान राम की आरती करने की परंपरा की शुरुआत 2006 में संकट मोचन मंदिर में आतंकी धमाका होने के बाद की गई थी। तब से ही मुस्लिम महिला फाउंडेशन ने हिंदू धर्म के मुख्य पर्व राम नवमी और दिवाली के मौकों पर भगवान की आरती कर रहा है।

दारुल उलूम देवबंद ने ना केवल आरती करने वाली महिलाओं के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है बल्कि सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं के फोटो डालने पर भी रोक लगाते हुए फतवा जारी किया है। देवबंद का कहना है कि मुस्लिम महिलाओं का फेसबुक और व्हाट्सअप में फोटो डालना हराम है। दारूम उलूम देवबंद ने फतवा जारी करके सोशल मीडिया पर मुस्लिम पुरूषों और महिलाओं की फोटो अपलोड करने को नाजायज बताया है

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