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GST से ऑनलाइन शॉपिंग महंगी, घाटे में कस्टमर…

नई दिल्ली: देश में गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद अॉनलाइन खरीदारी महंगी हो गई है। अब कुछ प्रोडक्ट्स पहले की तुलना में महंगे मिल रहे हैं। दरअसल, पहले हर राज्य में अलग-अलग प्रोडक्ट पर टैक्स रेट अलग-अलग था और जहां टैक्स कम होता था वहां से कस्टमर्स को सप्लाई मिलती थी। इससे ऑनलाइन कंपनियां ज्यादा डिस्काउंट दे पाती थीं, लेकिन इससे उल्ट अब ऑनलाइन शॉपिंग पर मिलने वाले फ्री गिफ्ट, ऑफर्स और एक्सचेंज ऑफर्स भी जीएसटी के दायरे में आ गए हैं।

हालांकि, कंपनियां सामान के महंगे होने से इनकार करती हैं, लेकिन कस्टमर्स को अब ऑनलाइन शॉपिंग में पहले जैसा डिस्काउंट नहीं मिल पा रहा है।

– जीएसटी के तहत सीधे ऑनलाइन सामान बेचने वाली किसी भी कंपनी या ट्रेडर्स को इसके तहत रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी हो गया है, जबकि सामान्य दुकानदार को 20 लाख रुपए से ज्यादा कारोबार पर ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है।

– चूंकि जीएसटी के बाद छोटे कारोबारियों की ऑफिस कॉस्ट बढ़ गई है, इसलिए वे पहले वाली कीमतों पर बिक्री नहीं कर पर रहे हैं।

– वहीं, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कंपनियों जैसे अमेजॉन, स्नैपडील, फ्लिपकार्ट से जुड़े सप्लायर्स जो अपने राज्य विशेष से बाहर बिक्री करते हैं उन्हें भी रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है।

– ऐसे में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से सप्लायर दूर होने की आशंका भी है। हालांकि ऑनलाइन कंपनियों का कहना है कि जीएसटी के बाद अब बाजार सामान्य हो गया है और वे जल्द ही नए ऑफर्स के साथ बाजार में आएंगे।

कंपनियां सप्लायर्स को डीलिस्ट कर रही हैं
– पेटीएम मॉल की प्रवक्ता सोनिया धवन कहती हैं कि जीएसटी के बाद हमारी बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा है। ऑनलाइन खरीदारी तो जरूरत की बात है, जिसे होती है वह खरीदता है।

– वे बताती हैं कि हमने 85 हजार सप्लायर को अपने प्लेटफाॅर्म से हटाया है। उन्होंने कहा कि अब हम शहर विशेष के आस-पास के दुकानदार अौर कंपनियों के शोरूम से एग्रीमेंट कर रहे हैं, जिससे कि ऑर्डर किया हुआ माल जल्द ही मिले। यह भी है कि जीएसटी की पेचीदगियों की वजह से सप्लायर कंपनियों से दूर हो रहे हैं और कंपनियां सप्लायर को डीलिस्ट कर रही हैं।

ऑफिस खर्च बढ़ जाएगा
– कंसल्टेंसी फर्म पीडब्ल्यूसी के पार्टनर और टैक्स कंसल्टेंट प्रतीक जैन ने कहा कि सरकार ने सीधे ऑनलाइन बिक्री करने वाले सभी कारोबारियों को रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया है, इससे छोटे कारोबारियों का ऑफिस खर्च बढ़ जाएगा।

– कंपनियां 1 फीसदी टीसीएस (टैक्स कलेक्शन एट सोर्स) को लेकर भी पसोपेश में हैं। हालांकि, सरकार ने इसे अभी लागू नहीं किया है। अगर ऐसा होता है तो सेलर्स को इसका इनपुट क्रेडिट मिलेगा, लेकिन यह रकम एक से डेढ़ महीने के लिए ब्लॉक हो जाएगी। ऐसे में कारोबार पर असर होगा।

– ऑनलाइन बिक्री करने वाले दुकानदार कागजी कार्रवाई और सामान के वर्गीकरण (Classification) से परेशान हैं। उन्हें डर है कि कहीं बिजनेस बंद न हो जाए।

– कुछ सेलर भारी-भरकम जुर्माने के डर से खुद को डीलिस्ट भी कर रहे हैं। शुरुआत में फ्लिपकार्ट ने करीब 95%, अमेजॉन और पेटीएम मॉल ने 100% सेलर्स को रिटेन करने की बात कही थी। लेकिन ये कंपनियां शुरुआती महीनों में हजारों सेलर्स को डीलिस्ट कर चुकी हैं।

लॉजिस्टिक कॉस्ट फ्यूचर में कम होगी
– जुलाई में ऑनलाइन बिक्री कम होने के सवाल पर अपैरल-असेसरीज फर्म जेपाइल डॉट कॉम की सीईओ राशि मेंदा कहती हैं कि ऑनलाइन बिक्री इसलिए कम रही, क्योंकि जून में कंपनियों की सेल आई थी और लोगों ने खरीददारी की थी। अब हालात सामान्य हैं।

– ऑनलाइन कंपनियों को सलाह देने वाले क्लियर टैक्स के फाउंडर और सीईओ अर्चित गुप्ता ने बताया कि टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव की वजह से अलग-अलग सामानों की कीमतों में असर आया है, लेकिन जीएसटी के बाद एंट्री टैक्स नहीं देना पड़ रहा है। इसलिए इसका असर कम है। चूंकि टैक्स स्ट्रक्चर एक हो गया है इसलिए ऑनलाइन कंपनियों की लॉजिस्टिक कॉस्ट फ्यूचर में कम होगी, कुछ कंपनियां इस पर भी काम कर रही हैं।

– उन्होंने कहा कि चूंकि देश में कीमत का अंतर खत्म हो गया है इसलिए दूर-दराज और किसी भी स्टेट से बैठा कस्टमर आसानी से खरीदारी कर पाएगा।

– अमेजॉन के एक सीनियर ऑफिशियल ने कहा कि हमारे प्लेटफाॅर्म पर हर हफ्ते 2.5 हजार सप्लायर जुड़ रहे हैं। हमारी बिक्री पर भी किसी प्रकार का फर्क नहीं पड़ा है। उन्होंने सामानों की कीमत के बारे में कहा कि किसी खास सामान की कीमत सप्लायर ही तय करता है, इसलिए इसपर कुछ नहीं कहा जा सकता।

जीएसटी से कारोबार में आसानी
– दूसरी तरफ कार्बन मोबाइल के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप जैन ने कहा कि जीएसटी के बाद मोबाइल में ऑनलाइन खरीदारी महंगी हुई है, हालांकि एंट्री टैक्स न होने की वजह से इसका असर कम हुआ है। जैन के मुताबिक अभी ऑफ लाइन शॉपिंग थोड़ी बढ़ी है।

– अमेजॉन के स्पोक्सपर्सन ने बताया कि जीएसटी से कारोबार में आसानी हुई है। एंट्री टैक्स न होने का फायदा भी मिला है, हमारे सप्लायर्स भी हमसे जुड़े हैं। अब अलग-अलग रेट नहीं है, सप्लाई भी तेजी से ठीक होगी।

केस-1
1. जूते पर चुकाया 975 रु. ज्यादा
मुंबई बांद्रा में रहने वाले विकास मदनानी ने बताया कि उन्होंने 10 हजार 999 रुपए कीमत का सूट ऑनलाइन कंपनी से मंगवाया। खरीदते वक्त सूट पर 4950 रुपए के डिस्काउंट के बाद इसकी कीमत 6049 रुपए दिखी, लेकिन जब बिल बना तो यह सूट 726 रुपए जीएसटी समेत 6775 रुपए में मिला। इसी तरह उन्होंने 35 फीसदी डिस्काउंट के बाद 8995 रुपए का जूता खरीदा, लेकिन पेमेंट करते वक्त 975 रुपए जीएसटी एक्स्ट्रा देना पड़ा।

केस-2
2. एक जींस 400 रुपए महंगी
दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाली पूनम कुमारी 11 सितंबर को उस समय चौंक गईं जब उन्होंने अपने रिश्तेदार को 6400 रुपए कीमत की जींस गिफ्ट की। वे बताती हैं कि मई में जब यही जींस बुक की थी तो यह 400 रुपए सस्ती थी, लेकिन अब उन्हें महंगी मिल रही है। उन्होंने बताया कि ऐसा ही अंतर मुझे सेंडल, कपड़ों आदि पर भी मिला।

इस तरह हमें हो रहा है नुकसान
1. छोटे कारोबारी चीजें महंगी बेच रहे हैं
– जीएसटी में ऑफलाइन दुकानदारों को 20 लाख रुपए तक के कारोबार पर छूट है। वहीं, सीधे ऑनलाइन कारोबार करने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है। इससे छोटे कारोबारियों का खर्च बढ़ रहा है। ऐसे में बटुआ, पेंटिंग, खिलौने वगैरह ऑनलाइन बेंचने वाले छोटे कारोबारियों को अपने सामान की कीमतें बढ़ाना पड़ रही हैं।

2. दूसरे राज्यों में सामान बेचना महंगा हुआ
– ऐसे आॅनलाइन सप्लायर जो एक राज्य से दूसरे राज्य में अपना सामान ऑनलाइन बेचेंगे उन्हें भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। ऐसे में उनका टैक्स एक्सपेंडिचर बढ़ रहा है। ऐसे हालात में वे अपने किसी खास सामान की कीमतें बढ़ा रहे हैं। इससे कस्टमर्स को चीजें महंगी मिल रही हैं।

3. इससे फ्री गिफ्ट, ऑफर भी महंगे हुए
– पहले की तुलना में फ्री गिफ्ट और ऑफर अब थोड़ा महंगे होंगे, क्योंकि जीएसटी के तहत ऑफर वाले सामानों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लौटाना होगा। इससे टैक्स क्रेडिट का नुकसान होगा। लिहाजा, फ्री गिफ्ट, ऑफर्स कम होंगे। जैसे- एक हजार रुपए कीमत के किसी भी सामान पर 100 रुपए का गिफ्ट दिया जा रहा है तो कारोबारी को 100 रुपए का टैक्स क्रेडिट लौटाना होगा। इसीलिए ऑनलाइन कंपनियों के कई तरह के ऑफर्स की संख्या में कमी आई है। उनका टैक्स कैल्कुलेशन का खर्च भी बढ़ रहा है।

जीएसटी के फायदे
1. डिलिवरी आसान होगी
– पहले कंपनियों की कोशिश होती थी कि कम टैक्स वाले राज्यों में वेयरहाउस बनाएं, लेकिन अब ज्यादा डिमांड वाले इलाकों में बना सकते हैं। इससे डिलिवरी चार्जेज कम हो सकते हैं। साथ ही पहले हर राज्य में अलग-अलग फॉर्म भरने पड़ते थे। जीएसटी में एंट्री टैक्स शामिल होने से इंटर-स्टेट डिलिवरी आसान हुई हैं। इससे भी समय घटा है।

2. कीमत का अंतर खत्म होगा
– चूंकि किसी खास प्रोडक्ट पर टैक्स रेट एकजैसा है, इसलिए हर राज्य में एक ही कीमत होगी। कस्टमर्स को इससे दाम को समझने में आसानी होगी। टैक्स का कैल्कुलेशन भी आसान हो गया है।

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