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विद्या और कला का वरदान पाने के लिए किया जाता है व्रत: बसंत पंचमी

Basant Panchami Vrat Vidhi: इस वर्ष बसंत पंचमी का त्योहार 22 जनवरी 2018 को पूरे देश में मनाया जाएगा। यह त्योहार हर वर्ष माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है। दूसरे शब्दों में बसंत पंचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है। देवीभागवत के अनुसार देवी सरस्वती की पूजा सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण ने की थी। माता सरस्वती को ज्ञान-विज्ञान, संगीत, कला और बुद्धि की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि देवी सरस्वती ने ही जीवों को वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि दी थी। इसलिए वसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा की जाती है।

बसंत पंचमी व्रत विधि: देवी सरस्वती की पूजा करने वाले शख्स का शरीर पूरी तरह शुद्ध होना आवश्यक है। इसलिए सुबह पानी में नीम और तुलसी के पत्ते डालकर स्नान करना चाहिए। नहाने से पहले नीम और हल्दी का लेप लगाना चााहिए और नहाने के बाद पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इस दिन सरस्वती के नाम का व्रत रखें। माता सरस्वती की मूर्ति के पास भगवान गणेश की मूर्ति रखें। रात में फिर से धुप और दीपक जलाकर 108 बार मां सरस्वती के नाम का जाप करें। पूजा के बाद देवी को दण्डवत प्रणाम करना चाहिए। मूर्ति के पास किताबें या वाद्ययंत्र रख लें। पानी से भरे एक कलश के पास पांच आम के पत्ते और एक सुपारी का पत्ता रखें। माता सरस्वती की मूर्ति के पास भगवान गणेश की मूर्ति रखें।

– पूजा के लिए पीले रंग के चावल, पीले लड्डू और केसर वाले दूध का इस्तेमाल करें।

– मूर्ति को हल्दी, कुमकुम, चावल और फूलों से श्रृंगार करें।

– माता सरस्वती के पूजन के लिए अष्टाक्षर मूल मंत्र “श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा” का जाप करें।

– गणेश वंदना के बाद माता सरस्वती चालीसा का पाठ करें। आखिर में विद्या और कला के लिए माता से वंदना करें।

– नई पुस्तकों पर रोली मोली से पूजा के बाद श्री गणेशाय नम: लिखें।

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