Journey of late Karunanidhi’s life from common person to CM
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तमिलनाडु में पांच बार बनने वाले सीएम करुणानिधि ने राजनीति में एंट्री 14 साल की उम्र में ही ले ली थी। दरअसल ये जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी के एक भाषण से प्रेरित हो गए थे। जिसके बाद इन्होंने राजनीति में प्रवेश लेकर हिंदी विरोधी आंदोलन में पार्टिसिपेट किया। और एक संगठन तैयार किया जो उनके इलाके के युवाओं के लिए था। उन्होंने इसके सदस्यों को मनावर नेसन नाम के एक अखबार का परिचालन किया जो हांथों से लिखी गई थी। जिसके पश्चात एक छात्र संगठन की स्थापना की गई जो तमिलनाडु तमिल मनावर मंद्रम नाम से था, जो कि द्रविड़ आन्दोलन का पहला छात्र विंग था। करुणानिधि ने स्वयं के साथ अन्य छात्र समुदाय के सदस्यों को सम्मिलित करके डीएमके दल के आधिकारिक अखबार मुरासोली के रूप में शुरु किया। बेहद दिलचस्प भाषण के चलते उनको कुदियारासु का संपादक बनाया बनाया गया।
1957 के चुनाव में वो पहली बार विधायक बने। दरअसल उनके अतिरिक्त अन्य 12 लोग भी विधायक की कुर्सी पर बैठे थे। राजनीति के क्षेत्र में पसीना बहाने वाले करुणानिधि ने 1967 के चुनाव में पार्टी से बहुमत हासिल करने के बाद अन्नादुराई तमिलनाडु के पहले गैरकांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। तमिलनाडु में डीएमके के आने के पश्चात कांग्रेस की ऐसी हालत हुई कि वहां पर आज तक उनकी हालत बस सहयोगी के रूप मे ही है। आपको बता दे कि जिस समय करुणानिधि पहली बार विधायक बने थे तब प्रधानमंत्री की कुर्सी पर जवाहर लाल नेहरू और जब वह पहली बार सीएम बने तो प्रधानमंत्री की कुर्सी पर इंदिरा गांधी थी। गौरतलब है कि आपातकाल के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने वाले आयोग की सिफारिश पर करुणानिधि की सरकार को बर्खास्त कर दिया था। फिर जब करुणानिधि सीएम बनॆ तो उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। इतना ही नही जब नह चौथी बार सीएम बने तो तो पीएम की कुर्सी पर पीवीराव नरसिम्हा थे और जब वह पांचवी बार सीएम बने तो पीएम की कुर्सी पर मनमोहन सिंह विराजमान थे।
दरअसल करुणानिधि को लोग इसलिए जानते थे क्योंकि वह डीएमके के प्रति वफादार थे। दरअसल उनके जीवन काल में एक ऐसा भी आया था जब वह अपनी बीमार पत्नी को छोड़कर पार्टी की बैठक में शामिल हो गए थे। और यही बात उनकी वफादारी की पुष्टि करता है। यह वही कारण भी है जो करुणानिधि को पार्टी के कार्यकर्ताओं में उनका कद बढ़ाने के साथ उन्हें लोकप्रिय बना दिया था। 6 दशकों से भी अधिक लंबे समय के राजनीति करियर में करुणानिधि ने भी कई सारी गलतियां की है जिनमें उन्होंने एक ऐसी गलती की है जिसका शायद उन्हें हमेशा मलाल था। करुणानिधि और उनके कैबिनेट सहयोगियों पर 1972 में जब तमिल फिल्मों के आइकन एमजी रामचन्द्रन व पार्टी के दिग्गज कोषाध्यक्ष ने उनपर भ्रष्टाचार का तो आरोप लगाया तो उन्होंने एमजीआर को पार्टी से भी बाहर कर दिया। तब जाके एमजी रामचंद्रन ने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की स्थापना किया। वहीं जब डीएमके से बाहर कर दिया गया तो पांच साल के अंदर ही एमजी रामचंद्रन पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो गए। जिसके बाद वो 1977 में पहली बार सूबे के सीएम बने। आपको बता दे कि एम.जी.आर. के एक बार तमिल के मुख्यमंत्री बनते करुणानिधि का तो वनवास ही शुरु हो गया था। इतना ही नही मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में करुणानिधि को सत्त्ता में कदम तक रखने नही दिया। और 1987 में एमजीआर का निधन हो गया लेकिन उसके पहले ही उन्होंने एक मजबूत प्रतिद्वंदी के रूप में जयललिता को तैयार कर लिया था। क्या आप इस बात को जानते हैं कि करुणानिधि ने तीन शादियां की थी व उनकी पहली पत्नी का नाम पद्मावती, दूसरी पत्नी का नाम दयालु अम्माल और तीसरी पत्नी का नाम रजति अम्माल है। जिनमें पद्मावती का निधन हो चुका है। उनके चार बेटे व दो बेटियां भी हैं।
विवादों से गहरा नाता रखने वाले करुणानिधि जेल भी चुके थे। दरअसल रामसेतु पर उन्होंने सवाल उठाया था। जी हां उनहोंने तो हिंदुओं के आराध्य देव भगवान श्री राम पर यह सवाल खड़ा किया कि कौन है वो राम, जिसका नाम 17 लाख साल पहले राम रखा गया था। किस इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़कर आए थे ये, क्या इसका सुबूत है किसी के पास। उनके बयान के बाद तो बवाल ही हो गया था। इतना ही नही करुणानिधि पर कि लिट्टे के संबंध में राजीव गांधी की हत्या की जांच करने वाले जस्टिन जैन कमीशन की आखिरी रिपोर्ट एलटीटीई के बठावा देने का आरोप लगा था। और रिपोर्ट में सिफारिश की गयी थी कि राजीव गांधी के हत्यों को बढ़ावा देने वाले डीएमके के पार्टी व मुख्यमंत्री करुणानिधि को जिम्मेदार माना जाए। वहीं आखिरी रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नही था। करुणानिधि ने 2009 में विवादों से भी टिप्पणी की जिसमें उन्होंने यह का कि प्रभाकरण मेरा एक अच्छा दोस्त है साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राजीव गांघी की हत्या पर एलटीटीई को भारत कभी भी माफ नही कर सकता।
तमिलनाडु के इस पूर्व सीएम व राजनीतिज्ञ करुणानिधि का निधन हो गया है। दरअसल पिछले दस दिन से वो चेन्नई के कावेरी हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती थे। और उनको यूरिनरी इन्फेक्शन के बाद कई और अन्य बीमारियों ने भी जकड़ लिया था। 94 साल की उम्र में करुणानिधि ने अंतिम सांस ली। जिसके बाद पूरे तमिलनाडु में शोक की लहर है व डीएमके समर्थक दुखी होकर बेकाबू हो रहे हैं। व जगह-जगह पर रोते-बिलखते नजर आ रहें हैं।
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