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जानिए क्या हैं माघ माह के विशेष दिनों का महत्व…

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा से लेकर पूरे माघ मास पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य कओ समस्त पापों से छुटकारा मिल सकता है और मोक्ष का द्वार खुल जाता है। महाभारत के अनुसार माना जाता है कि माघ माह के दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है। इस माह में किए गए शुभ कारण जीवन को लाभदायक बना सकते हैं। माघ माह एक ऐसा माह है जो भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास और दसवां सौरमास कहलाता है। माघ नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण ये महीना माघ का महीना कहलाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस माह का हर दिन पर्व के समान माना जाता है।

षटतिला एकादशी(12 जनवरी)- मान्यता है कि इस दिन तिलों से स्नान करना शुभ माना जाता है और तिल से बना उबटन ही शरीर पर लगाया जाता है। तिल से ही हवन किया जाता है और तिल मिले जल का पान करना शुभ माना जाता है। इस दिन तिल का दान किया जाता है। माना जाता है कि इससे समस्त पापों का नाश होता है। काले तिल वा काली गाय का दान करना इस दिन सबसे लाभकारी माने जाते हैं।

मौनी अमावस्या (16 जनवरी)- इस दिन मौन रहकर मुनियों जैसा व्यवहार किया जाता है। इस दिन गंगा स्नान का महत्व माना जाता है। मौनी अमावस्या का दिन रविवार और श्रवण नक्षत्र हो तो अर्धोदय योग होता है। इस अवसर पर स्नान-दान का फल भी मेरु के समान मिलता है।

बसंत पंचमी(22 जनवरी)- इस दिन विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी को पूजा जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में इन देवियों का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के कंठ से होना बताया गया है।

माघ पूर्णिमा(31 जनवरी)- माघ माह में माघी पूर्णिमा का महत्व सबसे ज्यादा माना गया है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं। इसके अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में होते हैं। माना जाता है कि माघ पूर्णिमा में स्नान दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है। पूर्णिमा के लिए माना जाता है कि माघ मास में मेलों का आयोजन किया जाता है।

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