सिवान के रहने वाले वासिफ दानियाल ने पहिए पर चलने वाला ऐसा रोबोट तैयार किया है, जो मानव मस्तिष्क की एकाग्रता की शक्ति से चलेगा। पूरी तरह से दिमाग से नियंत्रित होने वाले इस रोबोट का सेना जासूसी के लिए उपयोग कर सकती है। घुसपैठियों पर इसके माध्यम से नजर भी रखी जा सकती है क्योंकि इसमें छोटे-छोटे ही सही, शक्तिशाली कैमरे भी लगे हैं। वासिफ के इस आविष्कार को आइआइटी मंडी में पूरे देश से चुनी गईं 28 टीमों के बीच अव्वल माना गया।
वासिफ की प्रारंभिक शिक्षा शहर के डीएवी पब्लिक स्कूल में हुई। इस समय वे भोपाल के टीआइटी कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रहे हैं। अभी पहले ही वर्ष में हैं लेकिन उनकी प्रतिभा को देखकर सभी अचंभित हैं। हालांकि इनके पिता मो. शौकत बताते हैं कि वासिफ का रुझान बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक के क्षेत्र में रहा है।
घर के इलेक्ट्रॉनिक सामान को खोलना और उनको फिर से असेंबल करना इसने बहुत कम उम्र में ही शुरू कर दिया था। इसके लिए उसे फटकार भी सुननी पड़ती थी लेकिन हर बार कहता था- अब्बू जान, मुझे आगे जाकर यही सब करना है। इसमें ही मेरी रुचि है। फिर इंटर के बाद उसका प्रवेश इंजीनियरिंग कॉलेज में ही करा दिया।
वासिफ ने बताया कि इसके लिए संचालक के मस्तिष्क में भी एक चिप लगाई जाती है। जो दिमाग के संकेत को पढ़ता है और तरंगों के माध्यम से उसे रोबोट तक भेजता है। अभी तक रिमोट से संचालित रोबोट तो कई तरह के बने हैं लेकिन दिमाग से संचालित यह पहला है। आप जैसे-जैसे सोचेंगे, उसी हिसाब से यह चलेगा, घूमेगा, फिरेगा और तस्वीरों को कैद करेगा। इसे आदेश देने के लिए बोलने की भी जरूरत नहीं है।
माथे पर लगाए गए चिप को ब्रेन कंट्रोल सेंसर कहा जाता है। इससे निकलने वाले सिग्नल को रोबोट में लगे हुए एसची 05 मॉड्यूल को भेजा जाता है। इसकी पूरी प्रोग्रामिंग ही इस तरह से की गई है कि यह आपकी सोच से ही चलेगा।
हालांकि इसने पहले भी एक रोबोट तैयार किया था, जो स्वत: आगे के अवरोध को देखकर अपनी दिशा बदल देता था। इसी में संशोधन कर दिमाग संचालित कर दिया गया है। इसमें आगे की ओर कैमरा लगा है, जो तस्वीरों को कैद कर तुरंत भेजता है। वासिफ का कहना है कि अभी इस पर और काम किया जा रहा है, ताकि इसका उपयोग सेना आदि में किया जा सके।