11 families of family killed in death in Delhi's Buradi#delhi#onefamily#11people#NewDehli#Buradi#Sucide
दिल्ली: एक ओर जहां दिल्ली पुलिस ने मृतक परिजनों-रिश्तेदारों के दवाब में रविवार शाम को एफआइआर दर्ज कर ली वहीं, मृतकों के घर से मिले नोट्स अध्यात्म, टोना-टोटका और तंत्र-मंत्र की तरफ कर इशारा कर रहे हैं। वहीं, जांच में जुटी क्राइम ब्रांच का कहना है कि तंत्र-मंत्र के एंगल की भी जांच होगी। पड़ोसियों के मुताबिक भी यह परिवार काफी धार्मिक विचारों वाला था और रात में कीर्तन करने के बाद ही सोता था। इतना ही नहीं, यह भी पता चला है कि दुकान पर हर दिन बोर्ड पर घर की एक बहू सुविचार लिखती थी। मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने ऐसा दावा किया है कि उन्हें घर से कुछ नोट्स मिले हैं जो इस तरफ इशारा कर रहे हैं कि उनकी मौत तंत्र-मंत्र के चक्कर में हुई है। यह भी पता चला है कि परिवार के सदस्य मोक्ष की चाहत रखते थे और उनके घरों में इसके लिए अजब गजब अनुष्ठान भी किए जाते थे।
पुलिस की मानें तो भाटिया परिवार के घर से मिले सबूत इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि मृतकों का अध्यात्म की ओर ज्यादा झुकाव था। यही नहीं, परिवार तांत्रिक विद्या पर भी विश्वास करता था, इसलिए माना जा रहा है कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए अंधविश्वास में सभी ने स्वेच्छा से मौत को गले लगा लिया। पुलिस अधिकारी भी इस घटना को अध्यात्म से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि पुलिस की जांच अभी जारी है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आनी बाकी है। इसके बाद ही मौत की वजह स्पष्ट हो पाएगी। दरअसल, मरने वाले सभी लोगों में नारायण देवी के छोटे बेटे ललित और पुत्रवधू टीना के हाथ खुले मिले हैं। पुलिस को आशंका है कि ललित और टीना को छोड़कर सभी ने पहले कोई नशीला पदार्थ खाया होगा। उनके अचेत होने के बाद ललित और टीना ने सभी के मुंह पर पहले कपड़े व टेप लपेटे और बाद में उन्हें फंदे से लटका दिया। अंत में पति और पत्नी ने भी फांसी लगा ली।
परिवार के सभी सदस्य नियमित पूजा-पाठ करते थे। वहीं, समय-समय पर भंडारे का आयोजन भी किया जाता था। नारायण देवी के छोटे बेटे ललित ने गत पांच वर्ष से मौन व्रत धारण कर रखा था। उनकी घर के भूतल पर ही लकड़ी व प्लाई की दुकान थी, जबकि बगल में बड़े भाई भुवनेश परचून की दुकान चलाते थे। इन दोनों दुकानों के बीच एक प्लाई का बोर्ड लगा था। उसपर अक्सर प्रियंका या फिर परिवार का कोई अन्य सदस्य रोजाना कोई-कोई न कोई आध्यामिक विचार अथवा श्लोक इत्यादि लिखता था। यहां पर बता दें कि भाटिया परिवार में तीन बेटे व दो बेटियों में अब सबसे बड़े बेटे दिनेश और बेटी सुजाता भाटिया जीवित हैं। दिनेश परिवार के साथ राजस्थान के कोटा में रहते हैं, जबकि सुजाता अपने परिवार के साथ पानीपत रहती हैं। परिवार शनिवार की रात भाटिया परिवार रात 11.30 बजे तक जगा हुआ था। लोगों ने कुछ सदस्यों को तो गली में घूमता भी देखा था। भुवनेश की दुकान भी रात 11.30 तक खुली हुई थी। वे ग्राहकों को पहले की तरह सामान बेच रहे थे। लिहाजा लोगों को किसी अनहोनी होने की आशंका का आभास तक नहीं हुआ। पुलिस को आशंका है कि खाना खाने के बाद देर रात दो से तीन बजे के बीच सारी घटनाएं घटीं।
दिल्ली में यह अपनी तरह की पहली घटना है, जब घर में मौजूद एक ही परिवार के सभी 11 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई हो। परिजनों द्वारा हत्या का शक जताए जाने पर बुराड़ी थाना पुलिस ने फिलहाल अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस को शक है कि पहले बुजुर्ग महिला नारायण की कमरे में गला घोंटकर हत्या की गई, फिर नाबालिगों को अन्य ने जबरन फंदे से लटका दिया, इसके बाद बचे लोगों ने खुदकशी कर ली। गौरतलब है कि दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी सनसनीखेज घटना में बुराड़ी स्थित घर में रविवार सुबह एक ही परिवार के 11 लोग संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। मरने वालों में सात महिलाएं व चार पुरुष हैं। पुरुषों में दो नाबालिग हैं। नौ लोगों के शव प्रथम तल के बरामदे में छत से लगी लोहे की ग्रिल से चुन्नी व साड़ियों से लटके हुए मिले। एक महिला का शव रोशनदान से लटका मिला था, जबकि एक बुजुर्ग महिला का शव एक कमरे में जमीन पर पड़ा मिला। लटके हुए दस लोगों में से नौ के हाथ-पैर व मुंह बंधे हुए थे। सभी दस लोगों की आंखों पर रुई रखकर पट्टी बांधी गई थी।
खुदकुशी पर पहले से ही है शक!
आमतौर पर खुदकशी की वारदात लोग बंद कमरे में करते हैं, लेकिन यहां प्रथम तल पर जाने वाली सीढ़ी के दोनों दरवाजे खुले थे। घर से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला। तमाम पहलुओं से करीब दस घंटे तक छानबीन करने के बावजूद पुलिस न हत्या के एंगल पर पहुंच पा रही है और न ही खुदकशी की ही पुष्टि कर पा रही है। सभी 11 शवों को पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी मोर्चरी में रखवा दिया गया है। मेडिकल बोर्ड द्वारा सभी शवों का पोस्टमार्टम किया जाएगा। बुराड़ी-संत नगर मेन रोड से सटे संत नगर की गली नंबर दो में बुजुर्ग महिला नारायण का मकान है। इसमें वह दो बेटों भुवनेश व ललित, उनकी पत्नियों, पोते-पोतियों व विधवा बेटी के साथ रहती थीं।
11 शव घर में, खुला था दरवाजा
ये लोग मूलरूप से राजस्थान के रहने वाले थे और 22 साल पहले यहां आकर बस गए थे। बुजुर्ग महिला के तीसरे बेटे दिनेश सिविल कांट्रेक्टर हैं और राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में परिवार के साथ रहते हैं। बुजुर्ग महिला के दोनों बेटों की भूतल पर एक परचून व दूसरी प्लाईवुड की दुकानें हैं। ऊपर पहली व दूसरी मंजिल पर आधे हिस्से में बने मकान में ये लोग रहते थे। रोज सुबह ललित घर के सामने रहने वाले दिल्ली पुलिस से सेवानिवृत्त तारा प्रसाद शर्मा के साथ मार्निग वॉक पर जाते थे। उससे पहले शर्मा ललित की दुकान से दूध लेते थे। दुकान सुबह छह बजे खुल जाती थी। रविवार सुबह जब दुकान नहीं खुली, तब शर्मा ने सीढ़ी का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खुला पाकर जब वह ललित को जगाने ऊपर गए तो दरवाजा भी खुला मिला।
आगे जाने पर उन्होंने देखा कि बरामदे वाले हिस्से में दस लोगों के शव लटके हुए हैं, जबकि बुजुर्ग महिला का शव कमरे में पड़ा हुआ है। उसके बाद उन्होंने पड़ोस के लोगों व पुलिस को सूचना दी। इस सनसनीखेज घटना की सूचना मिलते ही दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त कानून एवं व्यवस्था उत्तरी संदीप गोयल, संयुक्त आयुक्त राजेश खुराना समेत कई जिलों के डीसीपी, एडिशनल डीसीपी समेत उत्तरी व मध्य जिले के 22 इंस्पेक्टर व आठ एसीपी मौके पर पहुंच गए। पुलिस अधिकारी का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही इस रहस्य से पूरी तरह से पर्दा उठ सकेगा। मामले की जांच के लिए जिला पुलिस समेत क्राइम ब्रांच की 12 टीमें लगा दी गई हैं।
इन लोगों की हुई मौत
नारायण देवी (77), प्रतिभा (नारायण की बेटी, 57), प्रियंका (नारायण की नातिन, 33), भुवनेश उर्फ भूपी (बड़ा बेटा, 50), श्वेता (भुवनेश की पत्नी, 48 ), नीतू (भुवनेश की बड़ी बेटी, 25), मीनू (भुवनेश की छोटी बेटी, 23), ध्रुव (भुवनेश का बेटा, 15), ललित (छोटा बेटा, 45), टीना (ललित की पत्नी, 42), शिवम (ललित का बेटा, 15)