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अपने घरवालो से अधिक भरोसा हो रहा है मुस्लिम महिलाओं को,मुख्य मंत्री योगी के न्याय पर

लखनऊ:मुख्यमंत्री के जनता दरबार मे आने वाली महिलाओं की संख्या योगी आदित्यनाथ की ख्याति और उनके न्याय पूर्ण निर्णयों को देखते हुये दीनो दिन बढ़ती चली जा रही है। मुख्य मंत्री सबका साथ सबका विकास फार्मूले का अक्षरता पालन करते हुए ही दिखाई देते है। बिना किसी भेद भाव जाती धर्म ऊंच नीच की परवाह किये सभी फरियादियो की फरियाद तन्मयता से सुनने के बाद उसका न्याय पूर्ण समाधान करते है।तीन तलाक के मामले में उम्मीद की जाती है कि योगी आदित्य नाथ ही कोई न्यायपूर्ण रास्ता निकालेंगे।

यही कारण है कि तीन तलाक जैसे कानूनी झगड़े हो या किसी मुस्लिम के दुखदर्द की बात,मुस्लिम महिलाएं अपने घरवालो से अधिक विश्वास कर योगी दरबार मे अपनी फ़रियाद लेकर आने लगी है।

जहां तीन तलाक से अपनी जिंदगी को बचाने के लिए मुस्लिम महिलाएं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल रही हैं, वहीं दूसरी ओर कानूनी लड़ाई भी लड़ रही हैं।  वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुल 18 करोड़ मुस्लिम में 13.5 प्रतिशत की शादी 15 साल से पहले हो चुकी है। भारत में फोन और व्हाट्सऐप से तलाक के मामले बढ़े हैं। तीन तलाक की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच इस मामले की सुनवाई अवकाश के दिनों में भी  11 मई से करेगा।

 

लखनऊ में रहने वालीं सबा बानो की किडनी खराब थी, और उन्हेंअस्पताल से घर आ रहे थे, पति ने रास्ते में ही यह कहकर कि, अब हम रास्ता बदल लेते हैं, और तलाक देकर चले गए।  सबा बानो ने बताया कि “उन्हें डर था कि कहीं मेरी बीमारी उन्हें न हो जाए।” सबा की किडनी का ट्रांसप्लांट उनके मायके वालों ने कराया। सबा को “यह बात बीच रास्ते में बोली गयी, तो उसके  होश उड़ गए।उसने बताया की मेरा  पर्स भी लेकर चले गए और मेरे भाई को फोन किया कि तुम्हारी बहन बीच रस्ते में खड़ी है, आकर ले जाओ।”

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए हलफनामे का विरोध करते हुए इसे शरीयत के कानून में दखलंदाजी मानते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसके खिलाफ हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर कहती हैं, “इस्लाम में कहीं यह नहीं लिखा है कि तीन बार तलाक बोलने भर से तलाक हो जाता है। तलाक तीन महीने में होता है। पति या पत्नी हर महीने एक दूसरे को तीन बार अलग-अलग महीने में तलाक बोलते हैं उसके बाद कार्यवाही मौलवी और कोर्ट के जरिए तलाक की मंजूरी मिलती है।”

“तीन तलाक का इस्तेमाल समाज में बहुत ज्यादा हो रहा है, बेटी पैदा हो गई, खाना नहीं बना, बीवी मायके चली गई तो तलाक हो जाता है, हलाला की नीयत से निकाह हराम है,” शाइस्ता अम्बर इसका पुरजोर विरोध करते हुए कहती हैं, “इसको बढ़ावा दिया है हमारे समाज के कुछ उलेमाओ ने। इस्लाम के कानून का गलत इस्तेमाल हुआ है। .

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