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जिस पर आया गुस्सा-उसकी फोड़ देता था आंख

लखनऊ. पिछले महीने राजस्थान का कुख्यात गैंगस्टर आनंद पाल सिंह एनकाउंटर में मारा गया। ऐसे वांटेड क्रिमिनल्स का खात्मा मिशन को अंजाम देने वाले IPS अफसरों के लिए यादगार बन जाता है। यूपी के टॉप IPS ऑफिसर्स में शुमार अमिताभ यश को 9 साल पहले किया एनकाउंटर आज भी याद है। इस डकैत ने की थीं 150 से ज्यादा हत्याएं, नेता रहते थे नतमस्तक…

– 70 के दशक में शिव कुमार पटेल उर्फ़ ‘ददुआ’ का नाम चंबल के बीहड़ों में दहशत का पर्याय था। करीब 30 साल चले ददुआ के आतंक का आलम यह था कि अगर किसी को प्रधान, विधायक और सांसद का चुनाव लड़ता होता था तब उसे एक मोटी रकम चढ़ावे में चढ़ाना पड़ता था।

– आईपीएस यश के मुताबिक ददुआ ने 150 से ज्यादा मर्डर्स को अंजाम दिया, जिसमें से कुछ ही पुलिस रिकॉर्ड्स में दर्ज हो पाए।

– विधानसभा हो या लोकसभा, नगर पंचायत हो या नगर पालिका या जिला पंचायत अध्यक्ष और ग्राम प्रधानी, हर चुनाव में कौन प्रत्याशी होगा, इसके लिए पहले ददुआ से इजाजत लेनी होती थी।

– बुंदेलखंड निवासी शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हर नेता को इलेक्शन में खड़ा होने के लिए ददुआ के आगे चढ़ावा चढ़ाना पड़ता था। हर चुनाव की फीस तय थी, जैसे MLA के लिए 5 करोड़ तो MP के लिए 10 करोड़। इसके बिना कोई भी नेता चुनाव में आगे नहीं बढ़ सकता था।

पहले आदर से छुए पैर, फिर दाग दी सिर में दो गोलियां
– 16 मई 1978 की दोपहर एक 22 साल का युवक चित्रकूट के रायपुरा गांव निवासी जगन्नाथ के घर आया था। जैसा कि गांव में होता है, उसने आते ही उम्र में खुद से बड़े जगन्नाथ के पैर छुए। उन्हें आदर देते ही उस युवक ने जेब में रखी पिस्तौल निकाली और जगन्नाथ के सिर में दो गोलियां उतार दीं।

– अचानक हुए इस जानलेवा हमले से पूरा परिवार सन्न रह गया। वो युवक बीहड़ का कुख्यात डकैत ददुआ था। यह उसकी जिंदगी का पहला बड़ा क्राइम था।

– मर्डर करने के बाद ददुआ दौड़ते हुए अपने घर पहुंचा। वो बोलता जा रहा था- मैंने अपने पिता की मौत का बदला ले लिया।

– यहीं से ददुआ की जुर्म की दुनिया की शुरुआत हुई।
सरपंच को पुलिस की मौजूदगी में दी मौत, चाकू घुसाकर निकाल दी थी आंखें
– यूपी के ही मानिकपुर के लाधौवा गांव के सरपंच पर ददुआ को शक था। उसे लगता था कि सरपंच जिमीदार अपना काम ईमानदारी से नहीं करता। इसी शक में ददुआ ने उसे खौफनाक मौत दी।

– जिमीदार के पिता मथुरिया बताते हैं, “उसने मेरे सबसे बड़े बेटे की दोनों आंखें फोड़ दी थीं। मेरा बेटा रात का खाना खाने के बाद घर के बाहर खड़ा था, तभी उसकी कुछ गुंडों से बहस हो गई। झगड़ा बढ़ा तो लोकल पुलिस भी वहां पहुंच गई।”

– “उन गुंडों में ददुआ भी शामिल था। वो पुलिस के सामने ही मेरे बेटे को रात के अंधेरे में घसीटते हुए जंगल की तरफ ले गया। उसके साथी मेरे बेटे को पीट रहे थे और फिर उसने जेब से चाकू निकालकर उससे मेरे बेटे की दोनों आंखें बाहर निकाल दीं और थोड़ी देर बाद घर के बाहर छोड़ गया।”

– जिमींदार के भाई बताते हैं, “वो लगातार हमें धमकी देता रहा कि अगर इस बारे में पुलिस को कुछ बताया तो पूरे परिवार को मार दूंगा।”

दो भाइयों की निर्मम हत्या
– ददुआ ने लाधौवा गांव के ही दो सगे भाइयों को बेहद बुरी मौत दी थी। ददुआ का शिकार बने देवनारायण की पत्नी गुजरातिया ने दोनों मर्डर अपनी आंखों के सामने होते देखे थे।

– “मैं ननद के साथ खेत में पति और देवर के लिए भोजन लेकर गई थी। ददुआ अपनी गैंग के साथ साइड से आया और मेरे पति पर चाकू से ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए। उसने मेरी आंखों के सामने दोनों को मार डाला,” यह कहते-कहते गुजरातिया रो दीं। ददुआ की मौत के 10 साल बाद भी वो उसकी दहशत में जीती हैं।

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