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नसीमुद्दीन खोल रहे मायावती एंड कंपनी की पोल

बहुजन समाज पार्टी से निकाले जाने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी के समर्थन में कई बड़े नेताओं ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। निष्कासन के बाद नसीमुद्दीन ने खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि मैं और मेरा परिवार बसपा बनने के पहले से ही अपना सब कुछ लगा चुका है। उन्होंने बसपा के प्रति अपनी कुर्बानियां गिनाई और एक खुला पत्र जारी कर गुरुवार को मायवती एंड कंपनी की पोल खोलने की बात कही है।

निष्कासन के विरोध में इस्तीफे

नसीमुद्दीन पर निष्कासन की कार्रवाई के विरोध में इस्तीफा देने वालों में पूर्व विधायक प्रदीप सिंह, इरशाद खान, लक्ष्मण भारती, ओपी सिंह, राजीव वाल्मीकि, पूर्व सांसद वीना चौधरी और रामबहादुर प्रमुख हैं। क्षत्रिय भाईचारा कमेटी केकोआर्डिनेटर रहे प्रदीप सिंह ने बड़े स्तर पर बगावत होने का दावा करते हुए कहा कि बसपा की उलटी गिनती शुरू हो गई है और उससे अलग हुए कार्यकर्ता जल्द अहम फैसले लेंगे। वहीं त्यागपत्र देने की घोषणा करने वाले ओपी सिंह, प्रदीप सिंह और इरशाद खान को निष्कासित करने की प्रेस विज्ञप्ति प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर द्वारा दी गई।

मायावती एंड कंपनी की पोल

बुधवार को नसीमुद्दीन सिद्दीकी लखनऊ में नहीं थे परंतु उन्होंने तीन पेज का एक खुला पत्र जारी कर पलटवार किया। पत्र में उन्होंने पार्टी के लिए दी गईं अपनी कुर्बानियों को गिनाया। पत्र में सिद्दीकी ने चेतावनी दी कि वह मायावती एंड कंपनी के भ्रष्ट कारनामों की गुरुवार की प्रमाण सहित पोल खोलेंगे। उन्होंने खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि मैं और मेरा परिवार बसपा बनने के पहले से ही अपना सब कुछ लुटा कर लगा है। मैंने कांशीराम के मिशन और मायावती के लिए इतनी कुर्बानी दी कि जिनकी गिनती नहीं बता सकता हूं। बसपा के लिए 34 -35 वर्ष की कुर्बानियों का उन्हें यह सिला मिला है।

गलत नीतियां दे रहीं हार

सिद्दीकी ने बताया कि गत 1996 में वह बिल्सी सीट पर मायावती को चुनाव लड़ा रहे थे और प्रभारी का दायित्व संभाले हुए थे। चुनाव के दौरान मेरी पुत्री गंभीर बीमार हुई। मैंने मायावती ने आखिरी सांसे ले रही बीमार पुत्री को देखने की अनुमति मांगी लेकिन, मुझे जाने नहीं दिया गया। इलाज के अभाव में मेरी इकलौती पुत्री ने बांदा में दम तोड़ दिया। इतना ही नहीं, पुत्री के अंतिम संस्कार में भी बांदा नहीं जाने दिया गया। सिद्दीकी ने लोकसभा व विधानसभा के गत चुनावों में सफलता नहीं मिलने का जिम्मेदार मायावती की गलत नीतियों को ठहराया। उन्होंने कहा कि बसपा प्रमुख ने मुसलमानों पर झूठे व गलत आरोप लगाने के साथ कई बार आपत्तिजनक बातें भी कहीं। करारी हार मिलने के बाद उन्हें बुलाकर अगड़ों, पिछड़ों व मुस्लिमों के लिए अपशब्द भी कहे। विरोध करने पर मायावती, आनंद कुमार व सतीश मिश्रा ने मानवता से परे मांगों को पूरा करने का दबाव भी बनाया।

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