लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत राज्य के कई जिलों में आतंकवादियों को धन मुहैया कराए जाने का मामला सामने आया है. सूचना के बाद यूपी एटीएस ने लखनऊ, गोरखपुर और प्रतापगढ़ के साथ-साथ मध्यप्रदेश के रीवा में ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू की. इस छापेमारी में अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. जानकारी के मुताबिक कई आरोपी छोटा-मोटा व्यापर करने वाले थे जिनके पास से भारी मात्र में कैश, ATM कार्ड बरामद हुआ है. बताया जा रहा है कि टेरर फंडिंग के इस पूरे प्रोसेस को पाकिस्तान से कंट्रोल किया जा रहा था. इन्हें सीमा पार से ही निर्देश दिए जा रहे थे. ये लोग कई सारे टेरर ग्रुप्स के लिए पैसा इकठ्ठा कर रहे थे. एटीएस इस मामले में ISI से जुड़े लोगों का भी लिंक खंगाल रही है.
आईजी एटीएस ने की गिरफ्तारी की पुष्टि
यूपी एटीएस द्वारा टेरर फंडिंग के मामले में 10 लोगों की गिरफ्तारी की पुष्टि आईजी एटीएस असीम अरुण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की. असीम अरुण ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि अभी तक ये मामला अवैध पैसों के लेनदेन (इल्लीगल मनी फ्लो) के रैकेट का है. हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि पैसा कहां से आया और कहां गया. उन्होंने बताया कि एटीएस को जानकारी मिली थी कि लश्कर-ए-तैयबा का एक आतंकी भारत में टेरर फंडिंग का नेटवर्क चला रहा है. जिसके बाद 25 मार्च को गोरखपुर, लखनऊ, प्रतापगढ़ और रीवा इन चार जगहों से 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
ऐसे काम करता था यह गिरोह
असीम अरुण ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए और इस गिरोह के काम करने का ढंग बताते हुए उन्होंने कहा, “पाकिस्तान से लश्कर-ए-तैयबा का व्यक्ति लाहौर से फोन और इंटरनेट के जरिए नेटवर्क के सदस्यों से सम्पर्क में रहता था. वो सदस्यों को फर्जी नाम से अकाउंट खोलने के लिए कहता था. वो बताता था कि कितना पैसा किस खाते में डालना है. इसके बदले भारतीय एजेंटो को कुछ प्रतिशत मिलता था. पाकिस्तान से सिमबॉक्स के अवैध नेटवर्क द्वारा कॉल करना पाया गया है.”
कुछ को पता था कि ये आतंक की फंडिंग है
असीम अरुण ने आगे कहा, “गिरफ्तार अभियुक्तों ने पाकिस्तान में बैठे आकाओं के लिए काम करना स्वीकार किया है. कुछ को पता था कि यह आतंकी फंडिंग है, जबकि कुछ सोच रहे थे कि लॉटरी फ्रॉड का पैसा आता है. इसकी जांच हो रही है.”
छापों में ये चीजें हुई बरामद, यहां से मिले पुख्ता सबूत
असीम अरुण ने अपने पीसी में खुलासा किया कि छापे के दौरान 45 लाख रुपये नगद, फर्जी बैंक खातों के कार्ड, पासबुक, कार्ड का डाटा चोरी करने का सामान बरामद हुआ है. इसके साथ ही उन्होंने यह बी बताया कि गिरफ्तार लोगों के मोबाइल और लैपटॉप के डाटा इक्स्ट्रैक्शन से पुख्ता सबूत मिले हैं.
जांच का दायरा बढ़ा
उन्होंने आगे बताया कि थाना एटीएस में इस केस के संबंध में दो मामले दर्ज किए गए हैं. इस समूह के तार नेपाल से भी जुड़े हैं, जिसकी जांच की जा रही है. जिन खातों में पैसे का लेन-देन हुआ है उन संदिग्धों की जांच की जा रही है.