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योगी सरकार: प्रदूषण की स्थिति से निपटने के लिए शहरों में हेलिकॉप्टर से कृत्रिम बारिश के निर्देश…

लखनऊ: विकास के नाम पर पेड़ों की अधाधुंध कटान, शहरों में हर तरफ खड़े होते कंक्रीट के जंगल, निर्माण और कूड़े निस्तारण को लेकर सरकारी महकमों की उदासीनता उत्तर प्रदेश के शहरों को वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर लेकर आ गई है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनेस्ट्रेशन (नासा) ने भी पूर्वांचल में सल्फर के उत्सर्जन के दोगुने होने पर चिंता जताई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वायु प्रदूषण की इस स्थिति से निपटने के लिए प्रमुख शहरों में हेलिकॉप्टर से कृत्रिम बारिश करवाने के निर्देश दिए हैं। इससे हवा में घुले जहर से निजात मिलेगी। इसके लिए आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी जो नई तकनीक के माध्यम से यह काम करेंगे।

हालांकि गुरुवार को लखनऊ के वायु प्रदूषण में आशातीत सुधार हुआ। उसका एअर क्वालिटी इंडेक्स जो 14 नवंबर को 464 और बुधवार को 404 था, वह गुरुवार को एकदम से घटकर 238 रह गया। फिर भी यह सवाल तो है ही कि यूपी की हवा इतनी खराब कैसे ? वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए आयोजित बैठक में यह फैसला लिया गया कि कृत्रिम बारिश की शुरुआत लखनऊ से की जाएगी। कुछ शहरों में वाटर टैंकर और स्प्रिंकलर से भी बारिश करवाई जाएगी।

इसके अलावा सरकार ने 22 बड़े बिल्डरों को नोटिस जारी कर निर्देश दिया है कि वे अपनी निर्माण साइटों पर प्रदूषण फैलने से रोकें। प्रदूषण विभाग के अनुसार अगर किसी शहर का एअर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर है तो यह स्थिति सांस लेने लायक नहीं जबकि 300 के ऊपर की स्थिति भी काफी खतरनाक होती है। प्रतिदिन सड़कों पर बढ़ते वाहनों की संख्या भी इसका एक बहुत बड़ा कारण है। एयर क्वालिटी इंडेक्स में उत्तर प्रदेश की स्थिति दिल्ली से भी खराब है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, नोएडा और गाजियाबाद की हवा तो सांस लेने लायक ही नहीं बची है।

पूर्वांचल में सल्फर दोगुना
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने ट्वीट किया है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में पिछले एक दशक में सल्फर की मात्रा दोगुनी हो गई है। नासा ने दो तुलनात्मक तस्वीरें जारी कर बढ़े हुए सल्फर के उत्सर्जन को दर्शाया है। दरअसल, सोनभद्र में कोयला आधारित विद्युत उत्पादन प्लांट के साथ ही अन्य इकाइयां कार्यरत हैं जो वातावरण में लगातार सल्फर का उत्सर्जन कर रही हैं। इन इकाइयों की उत्पादन क्षमता में लगातार वृद्धि जारी रहने से सल्फर का उत्सर्जन भी बढ़ा है।

पत्थरों के जंगल बने समस्या
शहरों में बेतरतीब भवनों का निर्माण वायु प्रदूषण का बड़ा जरिया बनता जा रहा है। लखनऊ में गोमती बैराज पुल के निर्माण और उसके आसपास रिवर फ्रंट के रुके हुए काम से उड़ता हुआ धूल का गुबार एक बड़े क्षेत्र में वायु प्रदूषण का कारक बना है। जगह जगह रेत के बड़े टीले हैं। कुडिय़ा घाट से लेकर लामार्टीनियर तक यही हालात हैं। लखनऊ में मेट्रो निर्माण से भी हवा प्रदूषित हो रही है।

ट्रैफिक सिस्टम भी जिम्मेदार
ट्रैफिक सिस्टम भी वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। कानपुर, लखनऊ, गाजियाबाद और वाराणसी में वाहनों के कारण लगने वाले जाम से पल पल चलना मुश्किल होता है।

जनरेटर उगल रहे धुआं
शहरों में तमाम बड़े होटल, सरकारी कार्यालयों और रेस्टोरेंट में धड़ल्ले से जनरेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे निकलने वाला धुआं हवा को जहरीली कर रहा है।

क्या है स्मॉग
स्मॉग या धुंध एक प्रकार का वायु प्रदूषण है, जो हवा में धुएं और कोहरे का मिश्रण होता है। यह कोहरे, धूल और वायु प्रदूषक जैसे कि नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, पीएम 10, वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों आदि का एक हानिकारक मिश्रण है। फैक्ट्रियों और गाडिय़ों से निकलने वाले धुएं जहरीले कण, राख आदि जब कोहरे के संपर्क में आते हैं तो स्मॉग बनता है। स्मॉग से खांसी, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ के अलावा बाल तेजी से झड़ सकते हैं। आंखों में एलर्जी भी हो सकती है।

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