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मिर्ज़ा ग़ालिब की ये बात सुनकर हंस पड़े थे बादशाह जफ़र, जानिए…

मिर्ज़ा ग़ालिब के 220वीं जन्मदिवस के अवसर पर दुनियाभर के लोग उन्हें याद कर रहे हैं। अपने शेरों से शायरी के शहंशाह बने ग़ालिब को गूगल ने डूडल बनाकर सम्मान दिया। मिर्ज़ा ग़ालिब के जीवन पर वैसे तो कई जीवनी लिखी जा चुकी हैं लेकिन अल्ताफ हुसैन हाली द्वारा ग़ालिब पर लिखी गई जीवनी बहुत ही चर्चित है। अल्ताफ द्वारा लिखी गई इस किताब में ग़ालिब की खाने की आदतों के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही यह भी बताया है कि ग़ालिब को मांस और आम कितने पसंद थे। अल्ताफ ने लिखा “ग़ालिब ब्रेकफास्ट में केवल एक ग्लास बादाम वाला दूध पीते थे।

इसके अलावा वे अपने प्रत्येक खाने में मांस जरूर खाते थे क्योंकि उन्हें मांस बहुत पसंद था।” अगर हम भारत में गर्मियों की बात करते हैं तो दिमाग में फलों का राजा आम जरूर आता है। वहीं जब आमों की बात की जाए तो मिर्ज़ा ग़ालिब का नाम दिमाग में आना लाज़मी है। गा़लिब को आम बहुत पसंद थे और गर्मियों में उनके दोस्त उन्हें हर प्रकार के फल भेजा करते थे लेकिन ग़ालिब के लिए आम कम पड़ते थे। अपनी किताब में एक किस्से का जिक्र करते हुए मशहूर लेखकर अल्ताफ ने लिखा “एक बार ग़ालिब मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर और उनके कुछ साथियों के साथ लाल किला के बाघ-ए-हयात बक्श या महताब बाघ में घूम रहे थे।

इस बाघ में आम के अलग-अलग प्रकार के पेड़ लगे हुए थे। ये केवल बादशाह, रानी और स्त्रीगृह की महिलाओं के लिए थे। घूमते हुए ग़ालिब जब भी वहां से गुजरते तो वे बहुत ही ध्यान से आमों को देखा करते। बादशाह जफर ने उनसे पूछा कि तुम सभी आमों को इतनी ध्यान से क्यों देख रहे हो? हाथ बांधे खड़े ग़ालिब ने बादशाह से बहुत ही ईमानदारी के साथ कहा ‘मेरे भगवान और मार्गदर्शक, किस कवि ने एक बार कहा था कि प्रत्येक फल पर उस व्यक्ति का नाम लिखा है जो इसे खाएगा। मैं इन पर अपने दादा, पिता और अपना नाम देख रहा हूं।’ ग़ालिब की यह बात सुनकर बादशाह जफर हंस पड़े और उन्होंने उसी दिन चुने हुए आमों की एक टोकरी ग़ालिब के घर भिजवा दी”।

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