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परीक्षा टालने के लिए छात्र ने की थी प्रद्युम्‍न की हत्‍या: CBI का दावा

गुड़गांव के रयान मर्डर केस में नया मोड़ आ गया है। बुधवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस पर से पर्दा उठाया। सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि प्रद्युमन की हत्या 11वीं के एक छात्र ने की थी। आरोपी छात्र चाकू लेकर आया था। हत्या की वजह शारीरिक शोषण नहीं पाई गई है। बल्कि आरोपी ने परीक्षा और पैरेंट्स टीचर्स मीटिंग (पीटीएम) टालने के लिए उसे मौत के घाट उतारा था। सीबीआई ने इस मामले में कैमरे पर बयान देने से साफ इन्कार कर दिया है। आज दोपहर दो बजे आरोपी की पेशी जुवेनाइल बोर्ड में होगी। आठ सितंबर की सुबह गुरुग्राम के रयान इंटरनेशनल स्कूल में दूसरी कक्षा के छात्र प्रद्युमन की हत्या हो गई थी, जिसका शव वहां के बाथरूम से बरामद किया गया था। आरोपी ने बर्बरता से मासूम का गला रेतकर घटना को अंजाम दिया था। सूचना पर पुलिस ने तब स्कूल के बस कंडक्टर अशोक को पकड़ा था, जिसे हत्यारा बताया गया था।

हिरासत में लिए गए छात्र पर संदेह है कि उसने घटना की सुबह अश्लील वीडियो क्लिप देखा और स्कूल के बाथरूम में जब प्रद्युम्न ठाकुर को देखा तो उसने प्रद्युम्न के साथ यौन उत्पीड़न करने का प्रयास किया होगा। छात्र को दोपहर को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया जाएगा, जहां अदालत द्वारा यह निर्णय लिए जाने की संभावना है कि उसे किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और सुरक्षा) अधिनियम, 2015 के अनुसार बालिग माना जाए या नाबालिग। वहीं, घटना के बाद हरियाणा पुलिस ने दावा किया था कि स्कूल के बस कंडक्टर अशोक कुमार ने यौन उत्पीड़न का विरोध जताने पर शौचालय के अंदर प्रद्युम्न की हत्या कर दी।

सीबीआई ने इस मामले में सीसीटीवी कैमरा फुटेज के आधार पर एक छात्र को गिरफ्तार किया है। घटना के दौरान वह क्लिप में बाथरूम से बाहर आते नजर आ रहा है। वहीं, सीबीआई का कहना है कि मामले में गिरफ्तार किए गए कंडक्टर की इस हत्या में कोई भूमिका नहीं है। मंगलवार को गिरफ्तार किए गए छात्र के पिता ने इस बाबत पुष्टि की। उसके पिता ने कहा, “बीती रात मेरा बेटा गिरफ्तार किया गया। उसने कोई जुर्म नहीं किया है, उसने माली और शिक्षकों को सूचना दी थी।”

मामला ज्वलंत होते देख हरियाणा सरकार ने इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग की थी, जो 22 सितंबर को शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इसी बीच सोमवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से रायन ग्रुप के तीन ट्रस्टियों की याचिका पर इस मामले में 10 दिनों के भीतर फैसला लेने के लिए कहा है।

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