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26/11 मुंबई हमला: मुंबई में शहीद अफसर की बेटी पिता को करती है मिस…

दिल्ली: मुंबई हमले में शहीद हुए एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर की बेटी आज भी उस दिन को भुला नहीं पाई हैं, जब उन्हें टीवी के जरिए अपने पिता के शहीद होने की खबर मिली थी. खुद की एचआर और ट्रेनिंग कंसल्टेंसी चलाने वाली दिव्या सालस्कर बताती हैं कि उन्हें अपने पिता की बहुत याद आती है. ऐसे में जब भी उन्हें पिता की याद आती है तो वो यूट्यूब पर उनके वीडियो देख लेती हैं, जिससे उन्हें लगता है कि उनके पिता आज भी उनके पास ही हैं.

26 नवंबर 2008 के दिन को याद करते हुए दिव्या ने बातचीत में बताया कि ”उस दिन मेरा पापा के साथ घूमने जाने का प्लान था. उन्हें अंडे खाना काफी पसंद था, लेकिन मुझे उसकी स्मैल पसंद नहीं थी इसलिए मैं अंदर ही अपने रूम में बैठी थी. एक घंटे तक जब मुझे उनकी आवाज नहीं सुनी तो मैं बाहर आई, तब मुझे पता चला कि फायरिंग होने की सूचना मिलने पर पापा काफी पहले घर से जा चुके हैं”.

आतंकी हमले की सूचना पर घर में सभी लोग टीवी देख रहे थे तभी उस पर विजय सालस्कर के शहीद होने की खबर दिखाई गई. उस दिन लगे सदमे से परिवार आज तक नहीं उबर पाया है. दिव्या ने कहा, ”चूंकि पापा हमेशा ही स्पॉट पर जाते थे इसलिए हम भी अस्पताल जाने के लिए हमेशा तैयार रहते थे लेकिन इसके लिए हम में से कोई तैयार नहीं था”.

”एक बेटी अपने पिता के सबसे करीब होती है. पापा मेरे बेस्ट फ्रेंड थे. अब मैं जब भी उन्हें मिस करती हूं तो यू ट्यूब पर उनके वीडियो देख लेती हूं. मैं उन्हें बात करते और चलते हुए देखती हूं. ये बहुत दर्दभरा है लेकिन इसके जरिए मैं उन्हें सांस लेते और जीते हुए देख पाती हूं.”

मास्टर्स की डिग्री पूरी करने के बाद अब दिव्या अपना खुद की एचआर और ट्रेनिंग कंसल्टेंसी चलाती हैं. दिव्या ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि उनके दीक्षांत समारोह में उनके पिता शामिल नहीं हो पाए. ”पापा का इस बात पर काफी जोर था कि मैं मास्टर डिग्री तक जरूर पढ़ूं. शायद वो सोचते थे कि मैं उनकी मदद कर सकूंगी”.

विजय सालस्कर को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता था, लेकिन उन्हें खुद ये कहलाना पसंद नहीं था. दिव्या ने बताया, ”पापा को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहलाना पसंद नहीं था. वे हमेशा यही कहते थे कि किसी की जान लेना कोई उपलब्धी नहीं है.”

विजय सालस्कर का उनकी फोर्स में कितना सम्मान था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी टीम के लोग उनके परिवार से मिलने जाते हैं. ”वो उनके बर्थडे पर भी घर आते हैं. चाहे कोई भी काम हो वो उसमें मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहते हैं.”

ये पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में किसी हमले को टालने के लिए फोर्स अब ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार है, इसका जवाब देते हुए दिव्या ने कहा, ”वो शायद इसे टाल या रोक नहीं सकें लेकिन अब डेमेज कंट्रोल बेहतर तरीके से किया जा सकता है.”

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