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फर्जी एक्सपीरियंस लेटर लगाकर दो डॉक्टरों ने पाया था प्रमोशन, लगा जुर्माना…

लखनऊ: KGMU की दो दिन चली कार्य परिषद की बैठक में फर्जी एक्सपीरियंस लेटर लगाकर प्रमोशन पाए दो डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई । उनका अनुभव बैकडेट से काउंट कर जुर्माना भी लगा दिया गया। जांच में यह पाया गया कि कि दोनों डाक्टरों ने फर्जी अनुभव के आधार पर सीनियॉरिटी की लिस्ट में नाम डलवाने की कोशिश की है।जुर्माने के तौर पर देनी होगी एक साल की सैलरी

-केजीएमयू के कुलसचिव राजेश राय ने कहा, “डॉ. ओपी सिंह औ डॉ. नईम ने फर्जी एक्सपीरियंस लेटर लगाकर प्रमोशन पाया था। जांच के बाद कार्यपरिषद के सदस्यों ने भी इस पर मुहर लगा दी। वर्ष 2002 में इन डॉक्टरों को लेक्चरर होना चाहिए था। वहीं ये फर्जी अनुभव दिखाकर असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए।

– इसके अलावा 2005 में एसोसिएट प्रोफेसर भी फर्जी तरीके से हो गए। उन्हें यह पद 2009 में मिलना चाहिए था। ऐसे में जांच में दोनों डॉक्टरों के अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए, जिस पर कार्यपरिषद के सदस्यों ने भी मुहर लगा दी है।

-उनका अनुभव का काउंट बैक डेट से MCI के मानकों के अनुसार होगा। दोनों डॉक्टर्स पर एक साल की सैलरी जुर्माने के तौर पर लगाई गई है। कार्यपरिषद में मानकों को दरकिनार कर नए विभागों में भेजे गए डॉक्टरों का मसला भी रखा गया। इसमें डॉ. हैदर अब्बास को इमरजेंसी मेडिसिन विभाग से फिर एनेस्थीसिया विभाग में भेजने का फैसला लिया गया।

– कार्यपरिषद में पीजीआई के समान वेतन-भत्ते संबंधी संशोधन प्रस्ताव पास हो गया है। इससे उन्हें बढ़े हुए वेतन-भत्ते का लाभ मिलने लगेगा। इसके अलवा बीते वर्ष की बैलेंस सीट देखी गई। इसके साथ ही एक्ट में संशोधन संबंधी प्रस्ताव पास किए गए।

– केजीएमयू में सैकड़ों ठेकाकर्मियों का मानदेय बढाने पर भी प्रस्ताव पास किया गया। कार्यपरिषद में दस डॉक्टरों के प्रमोशन को हरी झंडी दी गई। इसमें तीन को एडिशनल प्रोफेसर, छह को एसोसिएट और एक डॉक्टर को और प्रमोशन दिया गया।

– कार्यपरिषद में पांच अस्टिेंट प्रोफेसर भी नियुक्ति किए गए। केजीएमयू में सीपीएमएस के लिए खरीदे गए करीब सात करोड़ रुपये के कंप्यूटर और प्रिंटर घोटाले की रिपोर्ट भी बैठक में रखी गई। आखिरी में रखी गई रिपोर्ट पर सदस्यों ने फैसला लेने से इंकार कर दिया। इसको लेकर बहस भी हुई। अब इसे 15 दिन बाद होने वाली बैठक तक के लिए टाल दिया गया।

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