लखनऊ. राजधानी में हो रही डकैती की खुलासा करने के लिए पुलिस के साथ साथ एसटीएफ भी सक्रिय है । वारदात का खुलासा करने के लिए करीब 20 जगहों पर छापेमारी की गई है, जबकि एक टीम को उत्तराखंड भी भेजा गया है। डकैतों की आवाज से पुलिस को शक है कि वो बांग्लादेशी हो सकते है।
लखनऊ एसएसपी दीपक कुमार ने क्या कहा
– गोमती नगर में रिटायर्ड इंजीनियर के घर डाका और पीजीआई में एचएएल कर्मी के घर हुई वारदात में पुलिस बांग्लादेशी गैंग पर शक जता रही है।
-पुलिस का दावा है कि जिस तरह से बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया है वह बांग्लादेशी गैंग के वारदात का तरीका है।
-गैंग की लोकेशन उत्तराखंड में मिली है, एसएसपी के निर्देश पर पुलिस की एक टीम उत्तराखंड रवाना हो गई है।
-गैंग के लोकल कनेक्शन पर भी पुलिस काम कर रही है। दोनों घटनास्थल पर पुलिस ने रात 12 बजे से सुबह 5 बजे तक एक्टिव कई मोबाइल फोन भी रडार पर लिए है, जिसकी जांच चल रही है।
बांग्लादेशी गैंग की मॉडसअपरेंडी
-पुलिस के अनुसार बांग्लादेशी गैंग उन मकानों को टारगेट करते है, जो रेलवे स्टेशन और ट्रैक के आस-पास होता है।
-रेलवे स्टेशन या फिर ट्रैक के आस-पास होने से वारदात के बाद भागने में आसानी होती है। कभी- कभी वो वारदात के बाद पैदल ही निकल जाते है।
-ये गैंग परिवार को बंधक बनाकर वारदात को अंजाम देता है। परिवार को कबूल करने के लिए धारदार हथियार, डंडा और देशी तमंचा भी रखता है
-गैंग में 18 से 25 साल के युवक शामिल होते है। गैंग यूपी, बिहार, एमपी और उत्तराखंड समेत दिल्ली में वारदात को अंजाम देता है।
दोनों घटना में एक जैसी वारदात
-गोमती नगर में रिटायर्ड इंजीनियर और पीजीआई में एचएएल कर्मी के घर डकैती की घटना लगभग एक जैसी है।
-दोनों घटनाओं में बदमाशों की उम्र एक है, बल्कि वारदात करने का तरीका भी सेम हैं। रिटायर्ड इंजीनियर का मकान गोमती नगर स्टेशन के पास है जबकि पीआईजी की घटना उतरेठिया स्टेशन के पास अंजाम दिया गया है।
वारदात के बाद बदमाशों ने नहीं की तोड़फोड़
– दोनों घटनाओं में बदमाशों ने एंट्री प्वाइंट के लिए दीवार फांद कर खिड़की के लिए लोहे की ग्रिल निकाली थी। बदमाशों ने इंट्री के लिए किसी भी दरवाजे में कोई तोड़-फोड़ नहीं की। भागते समय दोनों की वारदात में वह चाभी और मोबाइल फोन भी अपने साथ ले गए थे।
-दोनों की घटना में परिवार को बंधक बनाने के लिए उन्होंने चादर फाड़ कर उन्हें बांधा था. विरोध करने पर लोहे की राड और तमंचे की बट का यूज किया था।
लोकल कनेक्शन के बिना वारदात नहीं
-रिटायर्ड इंजीनियर गिरीश चंद्र पांडेय के मकान हो या फिर पीजीआई के देवेंद्र सिंह नेगी का. दोनों मकानों में रैकी और मुखबिरी के बिना बदमाश वारदात को अंजाम नहीं दे सकते थे।
-पुलिस गैंग के लोकल कनेक्शन को खंगाल रही है। इससे पहले भी गोमती नगर में हुई डकैती की वारदात को लखनऊ के एक युवक को रैकी लिए चुना था, जबकि वारदात को अंजाम देने वाले बदमाश आज तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सके।