Nand Gopal Nandi, proved to be ineffective against Mau DSO in the Mau district.
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उत्तर प्रदेश सरकार में बसपा से भाजपा में आये स्टाम्प और नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी अपने प्रभार क्षेत्र मऊ जिले में अधिकारियों से अपनी बात मनवाने में असफल साबित हो रहे हैं। आपको बता दें कुछ दिन पूर्व ही मंत्री नंद गोपाल नंदी द्वारा मऊ में किये दौरे में खद्यान्न सम्बंधित अनियमितताओं को संज्ञान में लेते हुए घोसी तहसील में कार्यरत व अवैध वसूली करने वाले आपूर्ति लिपिक अमरनाथ मौर्य को तत्काल प्रभाव से हटाने का और उन पर जाँच का आदेश भी दिया गया था, जिसको अभी तक जिलापूर्ती अधिकारी ने प्रभाव में लाना बिल्कुल भी जरूरी नहीं समझा।
आपको बता दे जिलापूर्ती अधिकारी नरेंद्र तिवारी पर जिले के परदहां वार्ड न० 6 से भाजपा सभासद दिनेश कुमार सिंह द्वारा भ्रष्टचारियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है और जिले में अन्य कई शिकायतकर्ताओं द्वारा उनके खिलाफ शिकायतें भी की गई हैं। लेकिन शासन में ऊंची रसूख रखने वाले इस अधिकारी को किसी भी शिकायत की कोई परवाह नहीं है और वह अपने भ्रष्ट कर्मचारियों को बचाने में पूर्णतः सफल दिख रहा है। आपको जान कर यह हैरानी होगी कि मऊ जिलापूर्ती अधिकारी नरेंद्र तिवारी द्वारा कोटेदारों पर एकतरफा कार्यवाही करते हुए अपने विभाग में गाजीपुर निवासी कंप्यूटर ऑपरेटर अजीत सिंह व पूर्ति निरीक्षक हर्षिता राय एवँ लिपिक धीरज कुमार अग्रवाल तथा चपरासी नारायण यादव व लिपिक अमरनाथ मौर्या के भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से पर्दा डालने का कार्य किया जा रहा है।
भाजपा सरकार 2019 चुनाव के मद्देनजर अपने मंत्रियों और नौकरशाहों को इस बात के लिए हिदायतें दे रही है कि भ्रष्टाचार पर किसी को कोई भी रियायत नहीं मिलनी चाहिए, लेकिन वहीं दूसरी तरफ जिले के प्रभारी मंत्री के आदेश की अधिकारियों द्वारा अनदेखी सरकार के कमजोर नेतृत्व की कलई भी खोलती है। मऊ जिले में खद्यान्न अनियमितता पिछले कई सालों से प्रकाश में आ रहीं हैं जिसका सबसे बड़ा कारण शासन की लापरवाही व अधिकारियों की मनमानी है। आपको बता दें कि जिले के आपूर्ति विभाग में कई ऐसे कर्मचारी हैं जो पिछले कई सालों से जिले में अपनी जड़े जमाये बैठे हैं और भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहें हैं और यदि गाहे बगाहे कोई उनकी शिकायत भी करता है तो नरेंद्र तिवारी जैसे रसूखदार अधिकारी अपने हितों को साधने के लिए उनकी रक्षा में उतर आते हैं जिससे सरकार और विभाग दोनों की छवि खराब होती है।