Friday, April 26, 2024
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पशु मेलों में गायों की बिक्री पर केंद्र सरकार ने लगाया प्रतिबंध

SI News Today

सरकार ने वध के लिये पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया है। पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख्त ‘पशु क्रूरता निरोधक (पशुधन बाजार नियमन) नियम, 2017’ को अधिसूचित किया है। अधिसूचना के मुताबिक पशु बाजार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख्स बाजार में अवयस्क पशु को बिक्री के लिये न लेकर आये। ‘‘किसी भी शख्स को पशु बाजार में मवेशी को लाने की इजाजत नहीं होगी जबतक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक द्वारा हस्ताक्षरित यह लिखित घोषणा-पत्र न दे दे जिसमें मवेशी के मालिक का नाम और पता हो और फोटो पहचान-पत्र की एक प्रति भी लगी हो।’’ अधिसूचना के मुताबिक, ‘‘मवेशी की पहचान के विवरण के साथ यह भी स्पष्ट करना होगा कि मवेशी को बाजार में बिक्री के लिये लाने का उद्देश्य उसका वध नहीं है।’’ पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना पशु कल्याण के निर्देश के अनुरूप है।

देशभर में हर साल करीब 1 लाख करोड़ रुपए का मांस कारोबार होता है, साल 2016-17 में 26,303 करोड़ रुपए का निर्यात भी हुआ। उत्‍तर प्रदेश मांस निर्यात के मामले में सबसे ऊपर, उसके बाद आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना का नंबर आता है। ज्‍यादातर राज्‍यों में साप्‍ताहिक पशु बाजार लगते हैं और उनमें से कई राज्‍य पड़ोसी राज्‍यों से लगी सीमा पर पशु-मेले आयोजित करते हैं ताकि व्‍यापार फैलाया जा सके।

केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए यह नियम अगले तीन महीनों में लागू किए जाने हैं। इनमें कई कागजातों का प्रावधान किया है, हालांकि गरीब-अनपढ़ किसान और गाय-व्‍यापारी इन झंझटों से कैसे निपटेंगे, यह देखने वाली बात होगी। नए नियम के अनुसार, सौदे से पहले क्रेता और विक्रेता, दोनों को ही अपनी पहचान और मालिकाना हक के दस्‍तावेज सामने रखने होंगे। गाय खरीदने के बाद व्‍यापारी को रसीद की पांच कॉपी बनवाकर उन्‍हें स्‍थानीय राजस्‍व कार्यालय, क्रेता के जिले के एक स्‍थानीय पशु चिकित्‍सक, पशु बाजार कमेटी को देनी होगी। एक-एक कॉपी क्रेता और विक्रेता अपने पास रखेंगे।

2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से कई भाजपा शासित राज्‍यों में गौ-हत्‍या को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं। हालांकि कथित गौरक्षकों की गुंडागर्दी ने भाजपा के गौरक्षा अभियान को खासा नुकसान पहुंचाया है। पिछले साल गुजरात के ऊना में दलित पुरुषों को गो-तस्‍करी के आरोप में जमकर पीटा गया था, जिसके बाद यह मामला राष्‍ट्रीय बहस का मुद्दा बन गई। इस साल अप्रैल में, कथित गौरक्षकों ने अलवर में डेरी कारोबारी पहलू खान को मार डाला था।

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