Friday, April 26, 2024
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कृष्ण जी की इस सीख को अपनाकर आप भी जीवन में दूर कर सकते हैं कई परेशानियां

SI News Today

हर किसी के जीवन में कुछ ना कुछ समस्याएं होती है। कई लोग अपनी समस्याओं के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं तो वहीं कुछ अपनी किस्मत को दोष देते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में भी कई ऐसी कहानियां हैं, जिसमें अन्याय की बाते की गई है। एक ऐसी ही एक कहानी है धर्म ग्रंथ महाभारत की, जिसमें कर्ण ने अपने साथ हो रहे अन्याय के बारे में भगवान श्री कृष्ण को बताया। कुंती पुत्र कर्ण के सवालों को सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें अपने जीवन की कई बाते बताई। इन बातों को अपनाकर आप भी अपने जीवन में कई बदलाव ला सकते हैं।

सब जानते हैं कि पांडवों का भाई होने के बाद भी कर्ण ने उनके विपक्ष में कौरवों के लिए युद्ध लड़ा। युद्ध के दौरान कर्ण भगवान श्री कृष्ण के पास गए और कहा कि, ”हे वासुदेव, मेरा जन्म होते ही मेरी मां ने मुझे त्याग दिया। जब मैने शिक्षा लेनी चाही तो मेरे गुरु द्रोणाचार्य ने मुझे शस्त्र शिक्षा इसलिए नहीं दी क्योंकि में क्षत्रिय नहीं था। अब आप ही बताओ क्या मेरा कसूर है। जन्म लेते ही मेरी माता ने मुझे त्याग दिया, गुरु द्रोणाचार्य ने मुझे शस्त्र शिक्षा केवल इसलिए नहीं दी क्योंकि मैं क्षत्रिय नहीं था। मेरे गुरु परशुराम ने मुझे शिक्षा दी लेकिन जब उन्हें पता चला कि मैं क्षत्रिय नहीं हूं तो उन्होंने मुझे श्राप दे दिया। मेरा गुनाह ना होने के बाद भी मुझे श्राप मिला। मेरी माता कुंती ने मुझे सच सिर्फ इसलिए बताया क्योंकि वो चाहती थी कि पांडव पुत्रों की रक्षा हो सके।”

कर्ण ने आगे कहा, ”कि जीवन में दुर्योधन ने मुझे मान-सम्मान दिया। आज अगर मैं दुर्योधन के लिए युद्ध कर रहा हूं तो इसमें क्या गलत है।”

कर्ण की बाते सुनकर भगवान कृष्ण ने जवाब दिया कि हे कुंती पुत्र। जो भी तुम्हारे साथ हुआ वो गलत है। लेकिन ध्यान रहे कि दुनिया में ऐसा कोई नहीं जिसके साथ अन्याय ना हुआ हो। हर किसी के जीवन नें ऐसा समय आया है, जब व्यक्ति को अन्याय का शिकार होना पड़ा है। तुम्हे हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब भी तुम्हारे साथ अन्याय हुआ या किसी पीड़ा का सामना किया तो उस समय तुम्हारी प्रतिक्रिया क्या थी।

भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि हे कर्ण अच्छा होगा अगर तुम अपने प्रति हुए अन्यायों की शिकायतें करना बंद करो। शिकायतें बंद करने के बाद तुम खुद से सोचो। जीवन में किसी के साथ कितना भी अर्ध और अन्याय क्यों ना हो ये तुम्हे अन्याय के रास्ते पर चलने की आज्ञा नहीं देता है। हमें ये बातें सदा याद रखनी चाहिए कि अधर्म हमेशा विनाश के रास्ते पर ले जाता है।

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