ऐतिहासिक लालकिला को निजी कंपनी को सौंपे जाने के विपक्षी दलों की आलोचनाओं के बीच पर्यटन मंत्रालय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि डालमिया भारत लिमिटेड के साथ हुआ समझौता 17 वीं शताब्दी के इस स्मारक के अंदर और इसके चारों ओर पर्यटक क्षेत्रों के विकास एवं रखरखाव भर के लिए है. डालमिया भारत समूह एमओयू के तहत स्मारक की देखरेख करेगा और इसके इर्द गिर्द आधारभूत ढांचा तैयार करेगा.पांच वर्ष के दौरान इसमें 25 करोड़ रूपए का खर्च आएगा. मंत्रालय ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि सहमति पत्र (एमओयू) लाल किला और इसके आस पास के पर्यटक क्षेत्र के रखरखाव और विकास भर के लिए है. बयान में कहा गया है कि एमओयू के जरिए ‘गैर महत्वपूर्ण क्षेत्र’ में सीमित पहुंच दी गई है और इसमें स्मारक को सौंपा जाना शामिल नहीं है.
विपक्षी दलों ने ऐतिहासिक लालकिला के रखरखाव की जिम्मेदारी एक निजी समूह को दिए जाने पर शनिवार को सवाल उठाया. इस फैसले का कांग्रेस, माकपा और तृणमूल कांग्रस ने विरोध किया है और उन्होंने भारत की आजादी के प्रतीक को एक तरह से कोरपोरेट के हाथों में सौंपने को लेकर सरकार पर हमला किया।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की आजादी के प्रतीक लाल किले को कोरेपोरेट के हाथों बंधक रखने की तैयारी कर रहे हैं। क्या मोदीजी या भाजपा लालकिले का महत्व समझती है।’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह सच नहीं है कि यह निजी कंपनी लाल किला देखने के लिए टिकट जारी करेगी। क्या यह सच नहीं है कि यदि कोई वहां वाणिज्यिक गतिविधि या कोई कार्यक्रम करना चाहता है तो निजी पार्टी को भुगतान करना होगा।’’ सुरजेवाला ने कहा, ‘क्या आप लाल किला जैसे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीक को रखरखाव के लिए अपने कोरपोरेट दोस्तों को दे सकते हैं?’