उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा रविवार (2 जून) को बुलंदशहर के स्याना की सर्किल ऑफिसर श्रेष्ठा ठाकुर का तबादला कर दिया गया। उनके साथ कई आईपीएस-पीपीएस अधिकारियों को इधर-उधर किया गया है। हालांकि श्रेष्ठा के ट्रांसफर के पीछे सोशल मीडिया पर एक पखवाड़े पहले बीजेपी कार्यकर्ताओं का चालान काटने को मुख्य वजह बताया जा रहा है। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर श्रेष्ठा ने भाजपा कार्यकर्ताओं का चालान काटने की कार्रवाई की थी। मौके पर श्रेष्ठा और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर हुआ और लोगों ने महिला पुलिस अधिकारी को ‘लेडी सिंहम’ का तमगा दे दिया। जब रविवार को श्रेष्ठा समेत कई अधिकारियों के ट्रांसफर की खबर आई तो सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे ईमानदारी से की गई ड्यूटी की ‘सजा’ के तौर पर पेश किया। श्रेष्ठा ठाकुर ने फेसबुक पर जो लिखा, उससे भी यह स्पष्ट था कि वह सरकार पर कटाक्ष कर रही हैं। ठाकुर ने फेसबुक पर लिखा, ”जहां भी जाएगा, रौशनी लुटाएगा। किसी चराग का अपना मकां नहीं होता। बहराइच ट्रांसफर हो गया, नेपाल बॉर्डर है। परेशान मत होइए दोस्तों, मैं खुश हूं। मैं इसे अपने अच्छे काम का इनाम मानती हूं। आप सभी बहराइच में आमंत्रित हैं।”
लोगों ने श्रेष्ठा के इस जज्बे की खुलकर तारीफ की है। श्रेष्ठा ने जिस तरह पांच बीजेपी कार्यकर्ताओं को सरकारी काम में बाधा डालने के लिए जेल भेजा, और उसका वीडियो वायरल होने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लोकप्रिय अफसरों की सूची में नाम दर्ज करा लिया है। श्रेष्ठा की फेसबुक पोस्ट पर लोगों ने उनकी तारीफ करते हुए ‘नेशनल हीरो’ बता दिया। फेसबुक के अलावा ट्विटर पर भी श्रेष्ठा को लोगों की सहानुभूति और प्रशंसा मिल रही है।
बीजेपी कार्यकर्ताओं का आरोप था कि पुलिस बीजेपी से जुड़े ही लोगों के खिलाफ कार्रवाई करती है और ट्रैफिक नियमों के नाम पर घूसखोरी की जाती है। हालांकि सीओ ने इन आरोपों की सिरे से नकार दिया।
ठाकुर के तबादले के बाद स्थानीय नेता इसे अपना सम्मान मान रहे हैं और इसके साथ ही आला अधिकारियों से महिला अफसर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।