जयपुर में एनआईए की विशेष अदालत आज 2007 के अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में अपना फैसला सुना सकती है। इससे पहले 25 फरवरी को फैसला आज तक के लिए टाल दिया था। इस मामले में स्वामी असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, चंद्रशेखर लेवे, मुकेश वसानी, भारत मोहन रतेश्वर, लोकेश शर्मा और हर्षद सोलंकी पर मुकदमा दर्ज है।
इन सभी पर धमाके की साजिश रचने, विस्फोटक रखने, हत्या और सांप्रदायिक सद्भाव को खराब करने समेत कई आरोप लगाए गए हैं।
11 अक्टूबर 2007 को हुए इस धमाके में तीन लोगों की मौत हो गयी थी जबकि 17 से अधिक लोग घायल हो गए थे। 2011 में इस केस को एनआईए को सौंप दिया गया था। उसके बाद एनआईए ने आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें असीमानंद को मास्टरमाइंड बताया गया था।
इस केस में तब एक नया मोड़ आ गया था जब गवाह भावेश पटेल ने तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह समेत कई कांग्रेसी नेताओं पर यह आरोप लगाया था कि वे लोग आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार को फंसाने का उस पर दवाब डाल रहे हैं।