देश में जब राजनैतिक पार्टियां वोट बैंक बढ़ाने के लिए जाति और धर्म का सहारा ले रही हैं ऐसे समय में एक एमपी और एक विधायक ने अपने बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला कराया है। एमएलए ने बच्चे का दाखिला कराते वक्त स्कूल के फॉर्म मे लिखा कि उनका बेटा बड़ा होकर अपना धर्म खुद चुन लेगा। वहीं एमपी ने फॉर्म में बने धर्म के कॉलम को खाली छोड़ दिया। फेसबुक पर केरल में सीपीआई(एम) के सासंद एमबी राजेश ने लिखा कि उन्होंने अपने बच्चे का दाखिला सरकारी स्कूल में करा दिया है। जब फॉर्म में पूछा गया कि बच्चे का धर्म क्या है तो मैने उस कॉलम को खाली छोड़ दिया। वहीं कांग्रेस के त्रिठाला से एमएलए वीटी बलराम ने लिखा कि मैने अपने बेटे अद्वेत मानव का मैंने अपने घर के पास स्थित सरकारी एलपी स्कूल में दाखिला कराया है। मैंने उसके जाति वाले कॉलम में लिखा है कि वह बड़े होकर अपना धर्म खुद चुन लेगा।
एमबी राजेश ने ऐसा दूसरी बार किया है कि जब उन्होंने जाति के कॉलम में कुछ नहीं लिखा हो। उन्होंने कहा कि मुझे इस पर गर्व हो रहा है। मैंने ऐसा उस समय किया है जब राज्य में पंथीभोजनाम की 100 वीं सालगिरह मनाई जा रही है। पंथीभोजनाम एक तरह का त्योहार है इसमें अलग अलग जाति और समुदाय के लोगों को एक साथ दावत के लिए बुलाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस त्योहार के माध्यम से हजारों बच्चे ज्ञान की दुनिया में अपना पहला कदम रखते हैं। यह राज्य का सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय त्योहार है। ज्ञान के इस त्योहार में जाति और धर्म का ध्यान नहीं दिया जाता है।
राजेश के पास दो बेटी हैं। बड़ी बेटी 8वीं क्लास मे पढ़ती है। वह भी एक सरकारी स्कूल में पढ़ती है। वहीं अब छोटी बेटी का दाखिला भी सरकारी स्कूल में करा दिया है। सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का कारण भी राजेश ने बताया। उन्होंने लिखा कि एमपी कोटे से केंद्रीय विद्यालय में उनके बच्चो के लिए सीटें अलॉट हुई थीं। लेकिन वहां मलयालम का स्कोप नहीं है। मेरा विश्वास सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली की क्वालिटी में है। शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने के सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बाद मैं अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए प्ररित हुआ।