Wednesday, March 27, 2024
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दर्द न जाने कोय : कलियुग में राजनीति की मीरा को नहीं मिले राम और श्याम

SI News Today

Source :Viwe Source

अलोक पाण्डेय

लखनऊ. यह कलियुग है, इसीलिए शायद मीरा को राम और श्याम नहीं मिले। रायसीना हिल्स के लिए सियासी अखाड़े में मीरा के सामने खुद राम खड़े हैं, ऐसे में राम की फौज से उम्मीद बेमानी थी, लेकिन मीरा को श्याम का साथ भी नहीं मिला। यूपी विधानसभा में राम नामधारी कुल 26 विधायकों में 23 ने खुलेआम रामनाथ कोविंद को वोट दिया है, जबकि मीरा को विरोधी खेमे के तीनों राम के समर्थन मिलने की उम्मीद दिखी। खास बात यह रही कि श्याम को आराध्य मानने वाली मीरा को उस जन्म में श्याम का साथ नसीब नहीं हुआ था, इस दौर में भी श्याम का समर्थन मीरा को नहीं मिला। एक श्याम समर्थन-विरोध पर कुछ बोले नहीं, जबकि तीन श्याम ने इस लड़ाई में राम को अपना आदर्श माना। श्याम के पर्याय नंदगोपाल और राधामोहन भी मीरा से दूर खड़े नजर आए। कुल मिलाकर कलियुग की इस जंग में भी मीरा को ‘हार का जहर’ पीना पड़ेगा।

विधानसभा में कुल 26 राम नामधारी, विपक्ष में तीन राम

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कुल 26 ऐसे विधायक निर्वाचित हुए हैं, जिनके नाम में ‘राम’ शब्द जुड़ा है। भाजपा के दो विधायकों के नाम तो ‘श्रीराम’ हैं। इसके अतिरिक्त अपनादल (सोनेलाल) के एक विधायक हरिराम हैं, जबकि पार्टी के 20 अन्य विधायकों के नाम भी राम शब्दधारी हैं। उदाहरण के तौर पर रामनरेश रावत, रामपाल वर्मा, दयाराम, रामनरेश अग्निहोत्री, रामसरन वर्मा, रामप्रताप सिंह, रामगोपाल, रामरतन कुशवाहा, रामकृष्ण भार्गव, राम कुमार वर्मा, रामचंद्र यादव, सीताराम, राम फरेन, रमापति राम त्रिपाठी, रामानंद। भाजपा और सहयोगी दलों के ऐसे सभी 23 राम नामधारी विधायकों ने रामनाथ कोविंद के पक्ष में मतदान किया। सपा के रामगोविंद चौधरी और बसपा के राम अचल राजभर ने मीरा कुमार के लिए मतदान किया, जबकि बसपा के एक अन्य नेता रामवीर उपाध्याय का मत भी मीरा कुमार को मिलने की संभावना है। इस प्रकार यूपी विधानसभा में राम शब्दधारियों की फौज तो राम के साथ खड़ी दिखी, सिर्फ तीन राम ऐसे थे, जिन्होंने मीरा को अकेले नहीं छोड़ा।

मीरा को राम छोडि़ए, यूपी में श्याम का साथ भी नहीं मिला

श्याम की भक्ति में जहर का घूंट पीने वाली मीरा की तरह राजनीति की मीरा भी यूपी में श्याम के समर्थन को तरसती रहीं। यूपी विधानसभा में कुल चार ऐसे विधायक हैं, जिनके नाम में श्याम शब्द जुड़ा है। तीन विधायक यानी फरीदपुर से श्याम बिहारी लाल, गोपामऊ से श्याम प्रकाश और कपिलवस्तु से श्याम धानी तो भगवा ब्रिगेड के साथ हैं। इसके अतिरिक्त मथुरा के निकट मांट सीट से निर्वाचित श्यामसुंदर शर्मा बसपा के टिकट पर जीते हैंं। श्याम सुंदर के रिश्ते भाजपा के साथ भी मधुर हैं और उन्होंने मतदान को गुप्त बताते हुए किसी के समर्थन-विरोध के बारे में बात करने से इंकार कर दिया। ऐसे में मीरा को शायद यूपी के किसी भी श्याम का समर्थन नहीं मिला है।

नंदगोपाल और राधामोहन भी मीरा के खिलाफ

श्याम का समर्थन तो मीरा को नहीं मिला, लेकिन श्याम के पर्याय नंदगोपाल और राधामोहन भी राम के साथ खुलेतौर पर नजर आए। इलाहाबाद से जीते नंदगोपाल नंदी तो भाजपा सरकार में मंत्री हैं, जबकि गोरखपुर से भाजपा विधायक राधामोहनदास अग्रवाल के रिश्ते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बेहद करीबी हैं। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को यूपी के सियासी अखाड़े में राम और श्याम के समर्थन के बगैर ही खुद को बेहतर उम्मीदवार साबित करना पड़ा।

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