Thursday, April 18, 2024
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दीपावली 2017: देंखे कैसे करनी है पूजा- अर्चना, जानिए…

SI News Today

सनातन धर्म में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से आरंभ होकर कार्तिक शुक्ल द्वितीया तक चलने वाले पांच दिवसीय प्रकाश पर्व शृंखला का श्रीगणेश 17 अक्टूबर को धनत्रयोदशी यानी धनतेरस से होगा। इन पांच दिनों में उत्सव -उल्लास के विभिन्न रंगों से सराबोर नौ पर्व मनाए जाएंगे। दूसरे दिन 18 अक्टूबर को हनुमत् जयंती व नरक चतुर्दशी के साथ छोटी दीपावली मनाई जाएगी। तीसरे दिन 19 अक्टूबर को दीपावली व स्नान दान श्राद्ध की कार्तिक अमावस्या, चौथे दिन 20 अक्टूबर को काशी छोड़ अन्यत्र गोवर्धन पूजा यानी अन्नकूट और अंतिम दिन 21 अक्टूबर को काशी में गोवर्धन पूजा व भैया दूज (यम द्वितीया) व चित्रगुप्त पूजन से प्रकाश पर्व का समापन होगा।

हालांकि काशीवासी वर्ष में सिर्फ एक बार धनतेरस पर खुलने वाले स्वर्ण अन्नपूर्णेश्वरी दरबार में पहले चार दिनों तक भगवती के दर्शन का भी सौभाग्य पाएंगे। दीपावली के दूसरे दिन से देवालयों में अन्नकूट की झांकी सजेगी और श्रद्धालु देव प्रसाद पाकर निहाल हो जाएंगे।

धनतेरस व धनवंतरि जयंती
ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानी धन त्रयोदशी पर लक्ष्मी पूजन का विशेष मुहुर्त रात 7.21 से 9.17 बजे तक है। त्रयोदशी 16-17 अक्टूबर की रात 12.47 बजे लग जा रही है जो 17 की रात 11.55 बजे तक रहेगी। ऐसे में रात 11.55 बजे तक पूजन अवश्य कर लेना चाहिए। इसके बाद तिथि चतुर्दशी लग जाएगी। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कलश के साथ महालक्ष्मी का अवतरण हुआ। इसके प्रतीक स्वरूप इस दिन स्थिर लक्ष्मी व ऐश्वर्य वृद्धि के लिए गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति, सोना-चांदी, बर्तन आदि क्रय कर रात्रि में लक्ष्मी पूजन का विधान है।

इस दिन धनवंतरि जयंती भी मनाई जाती है। ऐसे में इसे श्रीसमृद्धि व आरोग्य का संयुक्त पर्व माना जाता है। वैद्यगण इस दिन भगवान धनवंतरि का पूजन-वंदन आदि करते हैं। शाम को यमराज को प्रसन्न करने के लिए घर के बाहर दरवाजे पर व बाग-बगीचों, कुआं-बावड़ी पर पांच बत्तियों का दीप जलाने का विधान है। दीप पर्व शृंखला में यम को दो दिन, धनवंतरि जयंती व यम द्वितीया पर स्मरण किया जाता है। इस दिन यम के निमित्त दीपदान से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है, जीवन निरोग भी बना रहता है।

दीप पर्व दीपावली
दीप ज्योति पर्व दीपावली 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी। कार्तिक अमावस्या तिथि 18 अक्टूबर की रात 11.34 बजे लग रही है जो 19 की रात 11.42 बजे तक रहेगी। दीपावली पर पूजन का प्रमुख काल प्रदोष काल माना जाता है। इसमें स्थिर लग्न की प्रधानता बताई जाती है। अत: दीपावली का प्रमुख पूजन मुहूर्त 19 अक्टूबर को स्थिर लग्न, वृष राशि में शाम 7.15 बजे से 9.10 बजे के बीच अति शुभद है। इससे पहले स्थिर लग्न, कुंभ राशि में दोपहर 2.38 बजे से शाम 4.10 बजे तक पूजन शुभद है। स्थिर लग्न सिंह अमावस्या में नहीं मिलने से इस बार तीन की बजाय दो ही मुहूर्त मिल रहे हैं।

अत: रात 11.42 बजे से पहले पूजन अवश्य कर लेना चाहिए। इसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। दीपावली की शाम देव मंदिरों के साथ ही गृह द्वार, कूप, बावड़ी, गोशाला, इत्यादि में दीपदान करना चाहिए। रात के अंतिम प्रहर में लक्ष्मी की बड़ी बहन दरिद्रा का निस्तारण किया जाता है। व्यापारियों को इस रात शुभ तथा स्थिर लग्न में अपने प्रतिष्ठान की उन्नति के लिए कुबेर लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। इस रात घर में गणेश-लक्ष्मी व कुबेर का पंचोपचार का षोडशोपचार पूजन कर धूप दीप प्रज्जवलित कर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रीसूक्तम, कनकधारा, लक्ष्मी चालीसा समेत किसी भी लक्ष्मी मंत्र का जप पाठ आदि करना चाहिए।

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