बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की ओर से दिए गए दोस्ती के प्रस्ताव के बावजूद भी शिवसेना ने बहुत ही ठंडी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी का कहना है कि उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आएगा और पार्टी चुनावों में अकेले ही उतरेगी. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने छह अप्रैल को पार्टी के स्थापना दिवस पर कहा था कि पार्टी को इस बात की उम्मीद है कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना एनडीए में बने रहेगी. शाह ने कहा था, ‘‘वे (शिवसेना) अभी हमारे साथ सरकार में हैं. यह हमारी प्रबल इच्छा है कि वह हमारे साथ बने रहें.’’
माना जा रहा था कि बीजेपी के प्रस्ताव पर शिवसेना अपने रुख में कोई नरम रुख दिखाए लेकिन पार्टी ने इसके उलट बीजेपी पर निशाना साधा है. शिवसेना के वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई ने कहा है कि बीजेपी ने अचानक अपना सुर बदल लिया है और अब वह एनडीए में अपने सहयोगियों के बारे में बातचीत कर रही है. शाह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘2019 में भी हम एनडीए की सरकार बनायेंगे और बीजेपी (अपने दम पर लोकसभा चुनावों में) बहुमत के साथ जीत हासिल करेगी.’’
ठाणे में कल रात देसाई ने जनसभा में कहा, ‘‘हमेशा अपने दम पर सत्ता में आने का दावा करने वाली बीजेपी को अब अपने दोस्तों की याद आ रही है. पिछले छह महीने में इनका सुर बदल गया है. अब यह एनडीए के बारे में बात कर रही है.’’
उन्होंने कहा कि ठाकरे राज्य में और पार्टी में सबसे लोकप्रिय नेता हैं. उनके नेतृत्व में पार्टी अपने दम पर महाराष्ट्र की सत्ता में लौटेगी. शिवसेना नेता ने कहा, ‘‘पार्टी प्रमुख कह चुके हैं कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे और सभी शिवसैनिकों को इस लक्ष्य की दिशा में काम करना चाहिए.’’
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी की एक नीति है कि पहले वह अपने सहयोगियों का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करती है और बाद में उन्हें निकाल फेंकती है. देसाई ने कहा ‘‘गोवा में उन्होंने अपनी जड़ें जमाने के लिए महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) का उपयोग किया और महाराष्ट्र में उन्होंने शिवसेना की मदद से अपना आधार बढ़ाया. लेकिन शिवसेना एमजीपी नहीं है.’’ उन्होंने कहा ‘‘केवल शिवसेना ही नहीं, बल्कि पूरा देश बीजेपी का अहंकार देख रहा है.’’
शिवसेना ने इस साल जनवरी में घोषणा की थी कि आगामी लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पार्टी बीजेपी के साथ नहीं लड़ेगी और अकेले मैदान में उतरेगी. महाराष्ट्र तथा केंद्र की बीजेपी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार में शिवसेना शामिल है लेकिन दोनों सरकारों की नीतियों और फैसलों की पार्टी अक्सर आलोचना करती रहती है.