रॉक ऑन 2 के बाद फरहान अख्तर दर्शकों के बीच लखनऊ सेंट्रल को लेकर आ रहे हैं। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे कुछ कैदी मिलकर बैंड बनाने की कोशिश करते हैं जबकि उनका असल मकसद जेल से भागने का होता है। फिल्म में आपको जबर्दस्त एक्टिंग के साथ एक म्यूजिकल जर्नी देखने को मिलेगी। कहानी की बात करें तो किशन गिरहोत्रा (फरहान अख्तर) उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का रहने वाला है जो मनोज तिवारी की तरह एक गायक बनना चाहता है। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए वो कोशिश भी करता है लेकिन तभी एक झूठे इल्जाम की वजह से उसकी जिंदगी बदल जाती है।
दरअसल उसपर मुरादाबाद के आईएएस अधिकारी के खून का गलत आरोप लग जाता है। जिसकी वजह से उसे जेल जाना पड़ता है। उसे सजा उस गुनाह की सजा मिल जाती है जो उसने कभी किया ही नहीं होता। इसके बाद वो आजाद होने के सपने देखता है। तभी उसे पता चलता है कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री कैदियों का बैंड बनाकर उनके बीच एक प्रतियोगिता करवाना करना चाहते हैं। इस काम में किशन को मदद मिलती है एक एनजीओ कर्मी (डायना पेंटी) की। बस यहीं से उसके लिए उम्मीद की किरण जगती है। क्या वो इस प्रतियोगिता की आड़ लेकर जेल से भाग जाएगा? या अपने सपने को पूरा करने के लिए जेल में हो रहे व्यवहार को सहेगा यहीं फिल्म की कहानी है।
लखनऊ सेंट्रल असल घटनाओं पर आधारित है। कहानी आपको हंसाने के साथ ही रुलाएगी भी। परिस्थितियों को कहानी इस तरह से आपके सामने पेश करेगी जिससे कि आप खुद को कनेक्ट कर पाएंगे। रोनित रॉय एक खड़ूस जेलर की भूमिका में आपको चौकाएंगे। फिल्म आपको बताएगी कि कैसे परिवार कैदियों से अपने रिश्ते तोड़ लेता है इसके बाद वो एक-दूसरे में अपना परिवार और रिश्ता ढूंढते हैं। रंजीत तिवारी के निर्देशन में बनी लखनऊ सेंट्रल में मानवीय भावनाओं को बहुत ही सादगी और खूबसूरती के साथ स्क्रीन पर उतारा गया है।
इस फिल्म में आप सभी को फरहान का देसी अवतार देखने को मिलेगा जो अच्छा लगेगा। अपने किरदार की तैयारी के लिए एक्टर ने काफी सारी भोजपुरी फिल्में देखी थीं। डायना पेंटी, गिप्पी ग्रेवाल, दीपक डोबरियाल, इनाम-उल-हक ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। कहानी आपको अपने सपनों को हासिल करने के लिए प्रेरित करेगी फिर चाहे जो परिस्थिति हो।