Moments near my hearts.
#MeriKalamSe #Poetry #MomentsOfLife
आज मैं अपने शहर, अपने घर आई हूं
पर हर बार की तरह बहुत खुश नही हूं
कमी है तुहारे होने की, तुम्हारे इस कदर प्यार करने की
काश तुम होते यहां तो हम फिर से आज मुस्कुरा रहे होते
किसी रेस्टरां में बैठके हंसी के ठहाके लगा रहे होते
आज वो दिन बहुत याद आ रहें
तुम्हारा हर रोज का मिलना और मुझे तुम्हे इंतजार कराना बहुत सता रहा है
तुम्होरे साथ होने की खुशी मैं बयां नही कर सकती
तुम्होरे प्यार का कर्ज में चुका नही सकती
तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा याद कर आज भी मैं हंस पड़ती हूं
तुम दूर हो मुझसे शायद इसीलिए आज तुम्हारी जगह मैं तड़पती हूं
बड़े प्यार से समझाते थे तुम मुझे
हर वक्त अपने प्यार का एहसास कराते थे तुम मुझे
कभी आंखों से तो कभी बातों से परेशान कर जाते थे
खूब शरारते करके तुम बहुत तड़पाते थे
न जाने कौन सी खुशी मिलती थी तुम्हें
कि मेरे साथ होने पर बस प्यार बर्साते थे
सोंच के आती कि लड़ूगी तुमसे इस बार
पर तुम्हारे सामने ही सब कुछ भूल जाती थी
याद आता है वो दिन जब मैं तुमसे फोन पर लड़ा करती थी
और तुम हंसकर बात टाल दिया करते थे
रात की बात सुबह भूला दिया करते थे
और मुझे भी आगे बढ़ने को कहा करते थे
आज वो सारे पल बहुत याद आ रहे हैं
तुम्हारे संग बिताए हुए हर लम्हें बहुत सता रहें हैं
काश तुम मेरे सामने एक बार फिर से आ जाते
पहले की तरह मुझे अपने गला से लगा लेते
आज वो सुकून बहुत तड़पा रहा है
तुम्हें देखने के लिए दिल बहुत तड़फड़ा रहा है
ऐसा पहली बार हुआ कि मेरे आने पर तुम नही आए
हर रोज मिलने का वादा करके तुम न जाने कहां चले गए
सोंचा तो बहुत था, पर सब अधूरा रह गया
तुम्हें गले लगाना, और साथ में वक्त बिताना अब सपना सा हो गया
उस वक्त भी ये आंखे तुम्हें ढूढ़ रही थी, जिस वक्त तुम्हारी गली से गुजरी थी मैं
सब कुछ तो पीछे छूट गया यही कहकर रो रही थी मैं
कांश कोई करिश्मा हो जाए, बस यही सोंच रही थी
पर कुदरत को शायद ये मंजूर नही बस यही कह रही थी मैं
दूर हेकर आज भी हम साथ हैं
पर हम मिलेंगे जरूर मुझे ये विश्वास है
By Shambhavi Ojha / Soumya Srivastava