शहीद भगत सिंह ने जिस पिस्टल से 1928 में ब्रिटिश अफसर जेपी सॉन्डर्स को गोली मारी थी, वह 47 साल बाद पंजाब लौट आई है। इसे हुसैनीवाला म्यूजियम में रखा जाएगा। बीएसएफ के इंदौर स्थित केंद्रीय आयुध और युद्ध कौशल स्कूल ने इसे बीएसएफ के जालंधर हेडक्वार्टर में भेज दिया है। अमेरिका में बनी 0.32 बोर की यह पिस्टल 7 अक्तूबर 1969 में फिल्लौर की पुलिस अकादमी में आखिरी बार देखी गई थी। राष्ट्रपति के आदेश के बाद इसे इंदौर भेजा गया था। बीएसएफ ने इस हथियार को इंदौर के केंद्रीय विद्यालय में रखा हुआ था, लेकिन पंजाब सरकार लगातार मीडिया और कोर्ट के माध्यम से इस पिस्टल को पंजाब में रखने की मांग कर रही थी। ‘द ट्रिब्यून’ में छपे रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार के पुलिस विभाग ने इसे वापस मांगा था और स्थानीय वकील एचसी अरोड़ा ने इस संबंध में जनहित याचिका भी दायर की थी।
सीएसडब्ल्यूटी को बीएसएफ में भर्ती होने वाले जवानों को प्रशिक्षित करने के लिए इन पुराने हथियारों की जरूरत है। सीएसडब्ल्यूटी को जब पता चला कि पिस्टल इंदौर के म्यूजियम में रखा हुआ है तो उसने पंजाब सरकार और पुलिस विभाग के जरिए पिस्टल को वापस मंगाने की मांग की। इसके बाद पंजाब के संस्कृति विभाग ने इस पिस्टल को भगत सिंह के जन्म स्थान खटखड़ कलां (शहीद भगत सिंह नगर) स्थित म्यूजियम में रखे जाने की मांग की।
मालूम हो कि वित्त मंत्री मनप्रीत बादल और पुलिस महानिदेशक ने भी केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीएसएफ से पिस्टल को वापस मंगाए जाने की मांग की थी। बीएसएफ के अधिकारियों ने बताया, ”पिस्टल को हुसैनीवाला स्थित म्यूजियम में शिफ्ट किया जा चुका है। हालांकि, अभी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला नहीं आया है। कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक होगा”
बीएसएफ के आईजी पंकज ने बताया कि पिस्टल को सीएसडब्ल्यूटी के निदेशक के पास बीएसएफ जवानों की सुरक्षा में भेजा गया है। उन्हें हथियार मिल चुका है। वह पुरी तरह से सक्रिय है। उन्होंने बताया कि इसे अगले सप्ताह हुसैनीवाला में सम्मानजनक रूप से म्यूजियम में रखा जाएगा।
बता दें, सीएसडब्ल्यूटी म्यूजियम में कई तरह के हथियार आपको देखने को मिल जाएंगे। यहां पर ऐसे कई हथियार हैं जिनका संबंध इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा है। दूसरे विश्वयुद्ध से आज के दौर तक के विशेष हथियारों को संग्रहालय में जगह दी गई है। विंटेज से लेकर मॉर्डन वेपंस कलेक्शन आप यहां देख सकते हैं। वहीं संग्रहालय में कई रॉकेट के आवरण भी शामिल हैं।