आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री और तेलुगुदेशम पार्टी के नेता देवीनेनी नेहरु का सोमवार (17 अप्रैल) को हृद्याघात होने से निधन हो गया। वे 65 साल के थे। उनके परिवारवालों ने बताया कि हैदराबाद में घर में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। वे अपने पीछे एक बेटा और बेटी छोड़ गए। नेहरु विजयवाड़ा की राजनीति के बड़े नाम थे। उनका वास्तविक नाम देवीनेनी राजशेखर था और वे किडनी से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे थे। कुछ दिनों पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। मंगलवार (18 अप्रैल) को उनका अंतिम संस्कार विजयवाड़ा में किया जाएगा।
वे 1982 में टीडीपी में शामिल हुए थे। 1983 में वे कांकीपाड़ु सीट से आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए और इसके बाद 1985,1989 और 1994 में भी इसी सीट से विजयी रहे। अपने समर्थकों के बीच वे नेहरु के नाम से लोकप्रिय थे। 1994 से 1996 तक वे एनटी राम राव की कैबिनेट में मंत्री रहे। जब एन चंद्रबाबू नायडू ने रामा राव के खिलाफ बगावत की थी तब नेहरु उन चुनिंदा नेताओं में से थे जिन्होंने रामा राव का साथ दिया था।
नेहरु बाद में कांग्रेस के साथ चले गए थे लेकिन 1999 में चुनाव हार गए। 2004 में हालांकि वे फिर से जीत लेकिन 2009 और 2014 में फिर हार का सामना करना पड़ा। पिछले साले वे अपने बेटे अविनाश के साथ फिर से टीडीपी में आ गए थे। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने नेहरु के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि उनका निधन उनके लिए निजी नुकसान है।
नेहरु के परिवार की उनके राजनीति विरोधी वंगावीति रंगा के साथ लंबे समय से तनातनी थी। 1988 में रंगा की भूख हड़ताल के दौरान हत्या कर दी गई थी। इसके चलते विजयवाड़ा और कृष्णा जिले के अन्य हिस्सों में काफी हिंसा हुई थी। इसमें 40 लोग मारे गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री एनटी रामा राव ने नेहरु को सरेंडर कराया तब जाकर हालात काबू में आए थे। रंगा कापू समुदाय से थे और कांग्रेस पार्टी के नेता थे।