Friday, July 26, 2024
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‘किसान’ के बेटे उमर फयाज टीन एज से बनना चाहते थे सेना में अफसर, दुल्हन के पास से खींचकर ले गए थे आतंकी

SI News Today

भारतीय सेना के 22 वर्षीय लेफ्टिनेंट उमर फयाज की मां जमीला ने आखिरी बार अपने बेटे को जिंदा तब देखा जब तीन आतंकी मंगलवार (नौ मई) रात को उसे एक शादी से घसीट कर ले गए। लेफ्टिनेंट उमर का शव बुधवार सुबह एक दूसरे गांव में मिला था। जमीला शोपियां के बटपूरा मातिरबग गांव में अपने भाई के घर अपनी भतीजी की शादी में गई हुई थीं। उमर ने भी शादी में शामिल होने के लिए अनंतनाग से आए थे।

उमर के पिता फयाज अहमद पारे अपने घर के एक कमरे में पड़ोसियों से घिरे चुपचाप बैठे हैं। फयाज अहमद कहते हैं, “मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रह है कि मेरा बेटा नहीं है…मेरा एक ही बेटा था।” उमर 2012 में 12वीं पास करने के बाद नेशनल डिफेंस एकैडमी (एनडीए) में की प्रवेश परीक्षा देना चाहता था। फयाज कहते हैं, “मैं किसान हूं। अनपढ़ हूं। उसने कहा वो अफसर बनना चाहता है तो मैंने कहा ठीक है।” फयाज कहते हैं, “मुझे नहीं पता था कि इसकी कीमत उसकी जान है।”

उमर अपने मामा मोहम्मद मकबूल की बेटी में शामिल होने के लिए आए थे। मकबूल कहते हैं, “उमर अनंतनाग में रुखा था जहां उसका चचेरा भाई किराए के मकान में रहता था। वो घर नहीं गया। अनंतनाग से सीधे हमारे घर आया। वो दोपहर बाद यहां पहुंचा। सब कुछ सही था। फेरान पहने तीन लोग घर में घुसे तो वो दुल्हन के पास बैठा था। उस वक्त रात के करीब आठ बजे थे। वो लोग उसके बारे में पूछते हुए सीढ़ियों से ऊपर गए थे। उसे पहचानते ही उन्होंने उसे पकड़ लिया।” मकबूल कहते हैं, “हमने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन वो उसे खींच ले गए। घर के बाहर और सड़क पर उनके और भी बहुत से साथी खड़े थे।”

बुधवार सुबह जब शोपियां के हरमैन गांव के बस स्टैंड पर उमर का शव मिला तो गांववाले उसे अस्पताल ले गए। वहां का डॉक्टर उमर को पहचानता था। उमर के चाचा मोहम्मद अशरफ कहते हैं, “हमें फोन कॉल से खबर मिली। हमें यकीन नहीं हुआ।” अशरफ कहते हैं कि सरसुना गांव में अब तक केवल एक नौजवान मोहम्मद अयूब पारे उग्रवाद की रहा पर चला गया था। वो 1990 के दशक में एलओसी पर मारा गया था। कुलगाम के सीनियर एसपी श्रीधर पटेल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पुलिस को इस बारे में कोई सूचना नहीं मिली थी कि लेफ्टिनेंट उमर का अपहरण कर लिया गया है। एसएसपी पटेल के अनुसार पुलिस को फयाद का शव मिलने का बाद पता चला। लेफ्टनेंट उमर का उनके पिता और परिवार के दो अन्य सदस्यों की मौजूदगी में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

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