भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी और कारोबारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी अदालत ने जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुना दी है। भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार ( 11 अप्रैल) को संसद में साफ कहा कि जाधव के पास भारत का वैध वीजा है इसलिए वो जासूस हो ही नहीं सकता लेकिन पाकिस्तानी हुक्मरानों के कान पर जूं भी नहीं रेंग रही है। जाधव पर पाकिस्तान द्वारा लगाए जासूसी के झूठे आरोपों के बरक्स हम आपको भारत की जेल में बंद एक असली पाकिस्तानी जासूस के बारे में बताते हैं। साजिद मुनीर नाम के इस कहानी से पता चलता है कि दोनों देशों का रवैया इस मसले पर कितना अलग है।
साजीद मुनीर को मध्य प्रदेश के भोपाल में खुफिया जानकारी मिलने के बाद जासूसी के आरोप में साल 2004 में गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए थे। जांच में पता चला कि वो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करता था। मुनीर हत्या के एक मामले में अभियुक्त था। कराची के रहने वाले मुनीर ने अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए एक युवक की हत्या कर दी थी। पुलिस से बचने के लिए वो कराची से भाग गया था।
मुनीर जब पुलिस के डर से छिपा हुआ था तभी उसका आईएसआई से संपर्क हुआ। आईएसआई ने उसे यकीन दिलाया कि वो उसे कराची पुलिस की गिरफ्त से बचा सकता है लेकिन बदले में मुनीर को भारत में जासूसी करनी होगी। मुनीर ने आईएसआई की बात मान ली और भारत आ गया। लेकिन भारत खुफिया एजेंसियों को उसकी कारगुजारियों की भनक लग गयी और वो पकड़ गया।
पिछले साल पांच जून को मुनीर 12 साल लंबी कैद काटकर भोपाल की एक जेल से रिहा हुआ। भारतीय एजेंसियों ने पाकिस्तान को उसकी रिहाई के बार में सूचित किया। लेकिन पाकिस्तान को शायद मुनीर की अब जरूरत नहीं थी इसलिए उसने उसके प्रत्यर्पण के बारे में भारत को कोई जवाब नहीं दिया। चूंकि मुनीर को भोपाल पुलिस ने पकड़ा था इसलिए उसकी जिम्मेदारी उसी के सिर आ गयी। भोपाल पुलिस की डिस्ट्रिक्ट स्पेशल ब्रांच (डीएसबी) पिछले 10 महीने से उसकी देखभाल कर रहा है।
मुनीर को भोपाल के कोह-ए-फिजा थाने के पास एक रखा गया है। डीएसबी उसके खाने-पीने एवं अन्य जरूरतों की व्यवस्था करता है। भोपाल पुलिस ने पुलिस मुख्यालय को कई बार पत्र लिखा है कि मुनीर के प्रत्यर्पण की कार्यवाही को तेज किया जाए लेकिन अभी तक इस मामले में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। डीएसबी ने विदेश मंत्रालय को भी इस बाबत लिखा है। फिर भी ये पाकिस्तानी जासूस 10 महीने से हमारा मेहमान बना हुआ।