Friday, July 26, 2024
featuredदेश

क्या आप जानते हैं ! भारत में गरीब दिखने पर आप गिरफ्तार भी हो सकते हैं

SI News Today

भीख मांगने का काम 20 राज्यों और भारत के दो केंद्र शासित प्रदेशों में एक अपराध है। यह निश्चित तौर पर गरीबी पर समाज की शर्मिंदगी और सार्वजनिक स्थानों के अतिक्रमण पर लोगों के झुंझलाहट को दर्शाता है। 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में कानूनों पर किए गए हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि ज्यादातर जगहों पर ‘गरीब दिखने’ पर लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है। कानून में ऐसे लोगों को पुलिस द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तार करने और लंबे समय तक या अनिश्चित काल तक के लिए सरकार द्वारा संचालित संस्थानों में भेजने की अनुमति है। यह वैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। कानून की भाषा सहज ढंग से कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अदालतों को समाज के एक वर्ग के प्रति भेदभाव भरे दृष्टिकोण को और वैध बनाने की अनुमति देती है।

 

कानून और गरीबी के विशेषज्ञ उषा रामनाथन ने दिल्ली में ‘एंटी बेगिंग कानून’ पर किए गए विश्लेषण में पाया कि इस कानून में गहरी खामियां हैं। भीख मांगने के संबंध में यह अन्य राज्यों के कानून के लिए भी सच है और इस समुदाय के साथ सरकार की वचनबद्धता पर पुनर्विचार और पुनर्लेखन की मांग करता है। अक्टूबर 2016 में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने निराश्रित लोगों के लिए एक नए मॉडल बिल पर परामर्श किया, जिसे राज्य सरकारों को टिप्पणी के लिए भेजा गया है। मॉडल कानूनों को केंद्रीय सरकार के मंत्रालयों द्वारा आम तौर पर राज्य सरकारों द्वारा एक स्वैच्छिक आधार पर अपनाने के लिए तैयार किया जाता है, कभी-कभी परिवर्तन के साथ या बिना परिवर्तन के।

 

पर्सन इन डेस्टिटूशन(प्रोटेक्शन, केयर एंड रीहबिलटैशन)मॉडल बिल-2006   में बेघर लोगों,भीख मांगते लोगों और विकलांग लोगों के पुनर्वास का उदेश्य रखा गया है। यह बार-बार भीख मांगने और संगठित भीख मांगने के अलावा सामान्य ढंग से भीख मांगने को अपराध नहीं मानता है और आश्रितों की हिरासत की अनुमति नहीं देता है। इसकी बजाय अच्छी तरह से सुसज्जित और पुनर्स्थापित पुनर्वास केंद्र स्थापित करने के लिए, व्यावसायिक प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान करने के लिए,  संबंधित राज्य सरकार की ड्यूटी लगाने के साथ-साथ यह निर्धनों को संसाधन उपलब्ध कराने के पर केंद्रित है। मॉडल बिल में निराश्रित लोगों की पहचान  करने और समुदायों को जागरूक बनाने के लिए साधन और संगठनात्मक इकाइयों की स्थापना की परिकल्पना की गई है।

 

हालांकि, बिल में भीख मांगने को लेकर प्रगतिशील और मानवीय दृष्टिकोण की कमी है, और एक स्वस्थ बहस के बाद उस पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है।

 

कौन है भिखारी?

सरकारी आंकड़ों (वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर) में पूरे देश में 400,000 से अधिक निराश्रित लोगों को ‘भिखारी’ या ‘खानाबदोश’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सरकार के आंकड़ों में ‘भिखारी’ के रूप में 400,000 से अधिक लोगों का वर्गीकरण किया गया है लेकिन यह भरोसे का आंकड़ा नहीं है। सरकार भी मानती है कि कोई प्रामाणिक डेटा उपलब्ध नहीं है। उधर कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार के आंकड़े भिखारी की संख्या को कम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए वर्ष 2011 की जनगणना में दिल्ली में भिखारियों की संख्या 2,187 है। हालांकि, सरकारी विभागों और नागरिक समाज संगठनों द्वारा पिछले अनुमानों में वर्ष 2004 और वर्ष 2010 के बीच 60,000 और 100,000 के बीच के आंकड़े बताए गए हैं।

इसके अलावा, भिखारी विरोधी कानूनों के तहत गिरफ्तार किए गए और हिरासत में गए लोगों की संख्या के बारे में जानकारी आसानी से उपलब्ध नहीं है। ययहां तक कि उन पांच राज्यों में भी जहां कानून के व्याख्यान में भीख मांगने को अपराध माना जाता है, आंकड़े सार्वजनिक रूप से सुलभ ढंग में उपलब्ध नहीं हैं। अधिकांश राज्यों का कानून (असम और तमिलनाडु को छोड़कर) खुद को जीवित रखने के साधन न होने पर अपनी बिगड़ी हुई वेषभूषा के साथ सार्वजनिक जगह पर भटकने को भीख मांगना कहता है।

दूसरे शब्दों में, यदि आप गरीब दिखते हैं, तो आपको गिरफ्तार किया जा सकता है। काम करने वाले बेघर लोगों या सड़कों पर भटकने वाले जनजातियों को पुलिस द्वारा पकड़ने की कई घटनाएं देखी गई हैं। पश्चिम बंगाल के कानून में ऐसी भाषा का उपयोग है जो औपनिवेशिक कानून की याद दिलाते हैं, जैसे कि एक शब्द है ‘खानाबदोश’। कुछ कानून पूर्व-आजादी के समय (तमिलनाडु) तो कुछ हाल ही में वर्ष 2004 (सिक्किम) में बनाए गए हैं, लेकिन सब जगह भीख मांगने को आपराधिक गतिविधि के रूप में देखा गया है।

 

कर्नाटक और असम में, धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए एक अपवाद तैयार किया गया है जो धार्मिक दायित्वों को पूरा करने या मंदिरों और मस्जिदों में भीख मांगते हैं। ये कानून धर्म के नाम पर भीख मांग रहे हैं। फिर भी, गायन, नृत्य और करतब दिखा कर मांग करना भीख मांगने की परिभाषा के अंतर्गत आता है और यह अवैध है। हालांकि, तमिलनाडु में सड़कों पर करतब और प्रदर्शन दिखाने वालों को भिखारी की परिभाषा में शामिल नहीं किया गया है।

 

अधिकांश राज्यों में कानूनों के तहत (कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर, बिहार और पश्चिम बंगाल के अपवाद के साथ) अदालत भी उन लोगों की गिरफ्तारी का आदेश दे सकती है, जो भीख मांगने के अपराध में गिरफ्तार व्यक्ति पर निर्भर हैं। इसलिए अगर एक व्यक्ति को भीख मांगने के लिए गिरफ्तार किया गया है तो उसकी पत्नी और बच्चों को भी हिरासत में लिया जा सकता है।

SI News Today

Leave a Reply